हमारे www.ncertskill.com के इस पोस्ट में आपका स्वागत है, इस पोस्ट में आप कक्षा 12 के राजनीति शास्त्र [ खण्ड ‘अ’ समकालीन विश्व राजनीति ] पाठ्यपुस्तक पहलाअध्याय 8 पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन | [Environment and Natural Resources] का पूरा समाधान देखेंगे | कक्षा 12 की पाठ्यपुस्तक राजनीति शास्त्र का पूरा समाधान हिंदी में. इस पोस्ट में आप Class 12th Political Science Book Solutions for Mp Board देख सकते है. यह सभी स्टूडेंट्स के लिए फ्री है. आप इस पेज पर 12 political science solutions in Hindi textbook बिलकुल ही फ्री में पढ़ सकते है. यह समाधान कक्षा 12 के राजनीति शास्त्र के नवीनतम पाठ्यक्रम पर आधारित है. इसमें कक्षा 12 के राजनीति शास्त्र के हर चैप्टर के समाधानं नवीनतम पाठ्यक्रम पर आधारित है.
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Ncert Solutions For Class 12th Political Science in Hindi |
अध्याय — 8
पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन | [Environment and Natural Resources]
महत्वपूर्ण बिन्दु
- समकालीन वैश्विक राजनीति में पर्यावरण प्रदूषण के खतरे एवं उसके प्रभाव चिन्तनीय मुद्दा है।
- अब संसार में कृषि योग्य भूमि बढ़ नहीं रही है बल्कि उसका उपजाऊपन भी कम होत चला जा रहा है।
- प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दों में वैश्विक ताप वृद्धि, ओजोन परत में छेद तथा समुद्र तटीयक्षेत्रों का प्रदूषण इत्यादि सम्मिलित हैं।
- जलवायु एवं जल चक्र सन्तुलन प्राकृतिक वनों से सन्तुलित बना रहता है।
- संसार में समुद्र तटीय क्षेत्रों में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण के फलस्वरूप समुद्री पर्यावरण की गुणवत्ता में दिन-प्रतिदिन गिरावट होती चली जा रही है।
- ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में 1992 में आयोजित पृथ्वी सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन, जैव-विविधता एवं वानिकी के सम्बन्ध में अनेक नियम निर्धारित किए गए।
- विश्व के कुछ क्षेत्र किसी एक देश के सम्प्रभु क्षेत्राधिकार से बाहर होते हैं जिनका प्रबन्धन संयुक्त रूप से अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा किया जाता है। ऐसे क्षेत्रों में पृथ्वी का वायुमण्डल, अण्टार्कटिका समुद्री सतह तथा बाह्य अन्तरिक्ष सम्मिलित है।
- वैश्विक सम्पदा सुरक्षा के लिए हुए समझौतों में अण्टार्कटिका सन्धि (1959). मॉण्ट्रियल न्यायाचार (प्रोटोकॉल 1987) तथा अण्टार्कटिका पर्यावरण न्यायाचार (1991) इत्यादि उल्लेखनीय है।
- वैश्विक ताप वृद्धि में कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन तथा क्लोरोफ्लोरोकार्बन में अहम् भूमिकाका निवर्हन करती है।
पाठान्त प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. पर्यावरण के प्रति बढ़ते सरोकारों का क्या कारण है? निम्नलिखित में सबसे बेहतर विकल्प चुनिए-
(क) विकसित देश प्रकृति की रक्षा को लेकर चिंतित हैं।
(ख) पर्यावरण की सुरक्षा मूलवासी लोगों और प्राकृतिक पर्यावासों के लिए जरूरी है।
(ग) मानवीय गतिविधियों से पर्यावरण को व्यापक नुकसान हुआ है और यह नुकसान ख़तरे की हद तक पहुँच गया है।
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर- (ग) मानवीय गतिविधियों से पर्यावरण को व्यापक नुकसान हुआ है और यह नुकसान ख़तरे की हद तक पहुँच गया है।
प्रश्न 2. निम्नलिखित कथनों में प्रत्येक के आगे सही या गलत का चिह्न लगाएँ। ये
कथन पृथ्वी सम्मेलन के बारे में हैं-
(क) इसमें 170 देश, हजारों स्वयंसेवी संगठन तथा अनेक बहुराष्ट्रीय लिया। कम्पनियों ने भाग
(ख) यह सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्त्वावधान में हुआ।
(ग) वैश्विक पर्यावरणीय मुद्दों ने पहली बार राजनीतिक धरातल पर ठोस आकार ग्रहण किया।
(घ) यह महासम्मेलनी बैठक थी।
(क) सही, (ख) सही, (ग) सही, (घ) गलत। हैं?
प्रश्न 3. ‘विश्व की साझी विरासत’ के बारे में निम्नलिखित में कौन-से कचन सही
(क) धरती का वायुमण्डल, अंटार्कटिका, समुद्री सतह और बाहरी अन्तरिक्ष को ‘विश्व की साझी विरासत’ माना जाता है।
(ख) ‘विश्व की साझी विरासत’ किसी राज्य के सम्प्रभु क्षेत्राधिकार में नहीं आते।
(ग) ‘विश्व की साझी विरासत’ के प्रबन्धन के सवाल पर उत्तरी और दक्षिणी देशों के बीच मतभेद है।
(घ) उत्तरी गोलार्द्ध के देश’ विश्व की साझी विरासत’ को बचाने के लिए दक्षिणी के देशों से कहीं ज्यादा चिंतित हैं।
उत्तर- (क) सही, (ख) सही, (ग) सही, (घ) गलत।
प्रश्न 4. रियो सम्मेलन के क्या परिणाम हुए?
उत्तर– रियो (पृथ्वी) सम्मेलन के परिणाम 1992 में ब्राजील के शहर रियो डी जेनेरियो में सम्पन्न रियो (पृथ्वी) सम्मेलन में 170 देशों, हजारों स्वयं सेवी संगठनों तथा विभिन्न बहुराष्ट्रीय निगमों ने हिस्सा लिया। पर्यावरण एवं विकास के मुद्दों पर केन्द्रित इस सम्मेलन के निम्नलिखित परिणाम हुए
(1) रियो सम्मेलन के फलस्वरूप वैश्विक राजनीति में पर्यावरण को लेकर बढ़ते सरोकारों को एक ठोस मूर्त रूप मिल पाया।
(2) पृथ्वी सम्मेलन 1992 में जलवायु परिवर्तन, जैव-विविधता तथा वानिकी के बारे में कुछ नियमाचार निर्धारित हुए।
(3) सम्मेलन में भविष्य के विकास हेतु एजेण्डा 21 प्रस्तावित हुआ जिसमें विकास की कुछ विधियों अर्थात् तौर तरीकों का परामर्श दिया गया। इसमें टिकाऊ विकास की धारणा को ‘विकास रणनीति’ के रूप में समर्थन मिला।
(4) इस सम्मेलन में पर्यावरण रक्षा के सम्बन्ध में पूँजीपति एवं निर्धन देशों अथवा उत्तरी गोलार्द्ध एवं दक्षिणी गोलार्द्ध के राष्ट्रों के दृष्टिकोण में मतभेद उभरकर सामने आए। भारत, चीन तथा ब्राजील जैसे विकासशील देशों का मानना था क्योंकि प्राकृतिक संसाधनों का दोहन विकसित देशों ने ज्यादा किया है अतः वे ही पर्यावरण प्रदूषण हेतु उत्तरदायी हैं। इन देशों ने कहा कि पर्यावरण रक्षा हेतु अधिक संसाधन एवं प्रौद्योगिकी इत्यादि दोषियों को ही उपलब्ध कराना चाहिए लेकिन अनेक धनी देशों ने इससे अपनी असहमति व्यक्त की थी।
(5) पृथ्वी सम्मेलन ने अन्ततः यह स्वीकारा कि अन्तर्राष्ट्रीय पर्यावरण कानून के निर्माण, प्रयोग तथा व्याख्या में विकासशील देशों की विशिष्ट आवश्यकताओं की अलग-अलग भूमिका होगी। अन्य शब्दों में कहा जा सकता है कि पर्यावरण के विश्वव्यापी क्षय में विभिन्न राज्यों का योगदान अलग-अलग है अतः विभिन्न राष्ट्रों की पर्यावरण रक्षा के प्रति संयुक्त लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारी होगी। 1992 के रियो (पृथ्वी) सम्मेलन के उपरान्त पर्यावरण का मुद्दा वैश्विक राजनीति में एक महत्त्वपूर्ण विषय के रूप में उभर कर आया है।
प्रश्न 5. विश्व की साझी विरासत’ का क्या अर्थ है? इसका दोहन और प्रदूषण कैसे होता है?
उत्तर- साझी विरासत का अर्थ साझी अथवा संयुक्त विरासत का अभिप्राय इन संसाधनों से होता है जिस पर किसी एक का नहीं बल्कि पूरे समुदाय का अधिकार होता है। समुदाय स्तर पर नदी, कुआँ तथा चरागाह इत्यादि संयुक्त या साझी सम्पदा के ही उदाहरण हैं।वैश्विक स्तर पर कुछ संसाधन एवं क्षेत्र ऐसे हैं जो किसी एक देश विशेष के क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत नहीं आते हैं। अ इसे विश्व सम्पदा अथवा मानवता की संयुक्त विरासत कहा जाता है जिस पृथ्वी का वायुमण्डल, अण्टार्कटिका, समुद्री सतह तथा बाह्य अन्तरिक्ष सम्मिलित है। विश्व की साझी (संयुक्त) विरासत का दोहन और प्रदूषण साझी (संयुक्त) विरासत के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन और प्रदूषण लगातार होता चला जा रहा है।
इसी प्रकार क्लोरोफ्लोरोकार्बन गैसों के असीमित उत्सर्जन की वजह से वायुमण्डल की ओजोन परत का क्षरण हो रहा है। 1980 के दशक के मध्य में अण्टार्कटिका के ऊपर ओजोन परत में छेद की खोज दल दहलाने वाली घटना है। सर्वविदित है कि ओजोन परत के क्षय होने पर सूर्य की पराबैंगनी किरणें मानव जाति, पशुओं तथा फसलों पर विपरीत प्रभाव डालेंगी। तटीय क्षेत्रों में बढ़ते हुए औद्योगीकरण एवं व्यावसायिक गतिविधियों की वजह से समुद्री सतह प्रदूषित होती चली जा रही है।
पर्यावरण प्रदूषण से ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा में बढ़ोत्तरी होती है जिससे वायुमण्डल एवं जलीय स्रोत भी प्रभावित होता है। इस प्रदूषण से पारिस्थितिकी एवं जलवायु परिवर्तन पर विपरीत प्रभाव पड़ते हैं। हालांकि साझी (संयुक्त) विरासत की सुरक्षा हेतु वैश्विक स्तर पर अण्टार्कटिका सन्धि (1959) तथा मॉण्ट्रियल प्रोटोकॉल (1991) हो चुके हैं परन्तु पारिस्थितिक सन्तुलन के बारे में अपुष्ट वैज्ञानिक साक्ष्यों तथा समय सीमा को लेकर मतभेद उत्पन्न होते रहते हैं जिसके चलते।
प्रश्न 6. ‘ साझी परन्तु अलग-अलग जिम्मेदारियाँ’ से क्या अभिप्राय है? हम इस विचार को कैसे लागू कर सकते हैं?
उत्तर- वैश्विक पर्यावरण काफी तीव्रता से प्रदूषित हो रहा है। संसार के अधिकांश देश प्राकृतिक संसाधनों का अन्धाधुन्ध दोहन कर रहे हैं जिससे मानव जीवन पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। इसी तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए कहा गया कि पर्यावरण को बचाने में सभी का संयुक्त उत्तरदायित्व है। यह उत्तरदायित्व विकसित एवं विकासशील देशों के लिए एक समान नहीं हैं।
चूँकि निर्धन देश विकास के रास्ते पर चल रहे हैं अतः उनके ऊपर पर्यावरण सुरक्षा का उत्तरदायित्व विकसित देशों के बराबर नहीं हो सकता। जलवायु परिवर्तन सम्बन्धी नियमाचार में उल्लिखित है कि प्रत्येक देश अपनी क्षमतानुसार, पर्यावरण को क्षति पहुँचाने के अनुपात में कमी लाने के दृष्टिकोण से अपनी सहभागिता पर संयुक्त परन्तु अलग-अलग भूमिका का निवर्हन करेगा।
संयुक्त उत्तरदायित्व तथा अलग-अलग भूमिका के सिद्धान्त को लागू करने हेतु परमावश्यक है कि विभिन्न देशों द्वारा पर्यावरण प्रदूषण हेतु उत्तरदायी गैसों के उत्सर्जन एवं तत्त्वों के प्रयोग का आकलन करते हुए प्रदूषण रोकने के प्रयासों में उसी अनुपात में उस देश को जिम्मेदारी निर्धारित की जाए। पर्यावरण प्रदूषण मुद्दा क्योंकि एक संयुक्त वैश्विक मुद्दा है अत: विकसित देशों को आधुनिक प्रौद्योगिकी विकसित करके गरीब देशों को उपलब्ध करानी होगी।
प्रश्न 7. वैश्विक पर्यावरण की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे 1990 के दशक से विभिन्न देशों के प्राथमिक सरोकार क्यों बन गए हैं?
उत्तर- वैश्विक पर्यावरण की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे 1990 के दशक में निम्न कारणों से विभिन्न देशों के प्राथमिकता सरोकार बन गए है-
(1) जहाँ वैश्विक स्तर पर जनसंख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है वहीं कृषि योग्य भूमि में कोई वृद्धि नहीं हो रही जबकि मौजूदा उपजाऊ जमीन के एक बड़े भाग (हिस्से) की उर्वरता कम हो रही है। इस प्रकार खाद्यान्न उत्पादन जनसंख्या के अनुपात में कम हो रहा है। (2) संयुक्त राष्ट्र विश्व विकास रिपोर्ट के अनुसार जल स्रोतों के प्रदूषण के कारण संसार के लगभग एक अरब बीस करोड़ लोगों को स्वच्छ जल उपलब्ध नहीं होता।
(3) समुद्रतटीय क्षेत्रों के प्रदूषण की वजह से समुद्री पर्यावरण की गुणवत्ता में भी गिरावट हुई है जिसके फलस्वरूप समुद्री जीवों का जीवन संकट में पड़ गया है।
(4) वनों के कटाव से जैव-विविधता का क्षरण तथा विपरीत जलवायु परिवर्तन का खतरा पैदा हो गया है।
प्रश्न 8. पृथ्वी को बचाने के लिए जरूरी है कि विभिन्न देश सुलह और सहकार की नीति अपनाएँ। पर्यावरण के सवाल पर उत्तरी और दक्षिणी देशों के बीच जारी वार्ताओं की रोशनी में इस कथन की पुष्टि करें।
उत्तर- पृथ्वी एवं उसके पर्यावरण के समक्ष बढ़ती जनसंख्या तीव्र औद्योगिक विकास तथा प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन ने एक गम्भीर चुनौती पैदा कर दी है। पर्यावरण प्रदूषण की प्रकृति को किसी राष्ट्र विशेष की सीमाओं में नहीं बाँधा जा सकता।
अंटार्कटिका सन्धि, मॉण्ट्रियल प्रोटोकॉल तथा अंटार्कटिका पर्यावरणप्रोटोकॉल होने के बावजूद वैज्ञानिक साक्ष्यों तथा समय सीमा को लेकर परस्पर एकमतता नहीं है और एक सर्वमान्य एजेण्डे पर सहमति कायम नहीं हो पाई है। रियो प्रस्ताव में कहा गया कि वैश्विक पर्यावरण की सुरक्षा तथा गुणवत्ता में सभी विश्व समुदाय की संयुक्त जिम्मेदारी होगी लेकिन उसमें विकसित एवं विकासशील देशों की भूमिकाएँ अलग-अलग होंगी।
परीक्षोपयोगी अन्य प्रश्नोत्तर
class 12th Political Science वस्तुनिष्ठ प्रश्न
बहु-विकल्पीय
- निम्नांकित में विश्व की संयुक्त विरासत में सम्मिलित नहीं है-
(क) सड़क मार्ग
(ख) बाह्य अन्तरिक्ष
(ग) वायुमण्डल
(घ) समुद्री सतह।
- निम्नांकित में से किस देश में क्योटो प्रोटोकॉल सम्मेलन हुआ था ?
(क) बाली
(ख) नेपाल
(ग) जापान
(घ) सिंगापुर।
- भारत ने क्योटो प्रोटोकॉल (1997) पर हस्ताक्षर किए तथा इसका अनुमोदन किया था-
(क) 1997 में
(ख) 1998 में
(ग) 2001 में
(घ) 2002 में
- पृथ्वी के वायुमण्डल में से जिस गैस की मात्रा में लगातार कमी हो रही है. वह है-
(क) मीथेन गैस
(ख) ओजोन गैस
(ग) नाइट्स ऑक्साइड गैस
(घ) कार्बन डाइऑक्साइड गैस
- यदि पृथ्वी पर पाई जानी वाली वनस्पतियाँ समाप्त हो जाए तो किस गैस की कमी होगी?
(क) नाइट्रोजन
(ख) कार्बन डाइऑक्साइड
(ग) ऑक्सीजन
(घ) इनमें से कोई नहीं।
- अन्तर्राष्ट्रीय पर्यावरण के मुद्दे पर प्रथम संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन कहाँ हुआ था?
(क) स्टॉकहोम
(ख) रियो डी जेनेरी
(ग) न्यूयार्क
(घ) लन्दन।
- रियो सम्मेलन में कितने देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था ?
(क) 170
(ख) 172
(ग) 180
(घ) 1851
- पृथ्वी सम्मेलन कब हुआ था?
(क) 2000 में
(ख) 1997 में
(ग) 1995 में
(घ) 1992 में
- पर्यावरण की दृष्टि से जो उत्पाद उच्च कोटि के होते हैं उन्हें निम्नांकित में से कौनसा चिह्न प्रदान किया जाता है?
(क) एगमार्क
(ख) क्रॉस
(ग) इकोचिड
(घ) स्वास्तिक
- निम्नांकित में से कौन संयुक्त सम्पदा का उदाहरण नहीं है?
(क) चरागाह
(ख) एकल परिवार का चूल्हा
(ग) मैदान
(घ) नदी।
उत्तर- 1. (क) सड़क मार्ग, 2. (ग) जापान, 3. (घ) 2002 में, 4. (ख) ओजोन गैस, 5. (ग) ऑक्सीजन, 6. (क) स्टॉकहोम, 7. (क) 170, 8. (घ) 1992 में, 9. (ग) इको चिह्न, 10. (ख) एकल परिवार का चूल्हा
रिक्त स्थानों की पूर्ति
- क्योटो प्रोटोकॉल की बाह्यता से छूट प्राप्त दो देश ——————– है।
- मूलवासियों की शुरूआती परिभाषा—————— में संयुक्त राष्ट्र संघ ने दी थी।
- अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन परत में छेद होने की जानकारी। ——————– दशक के मध्य में हुई थी।
- निजीकरण गहनतर कृषि, जनसंख्या वृद्धि तथा परिस्थितिकी तन्त्र में कमी इत्यादि————– का आकार घट रहा है। से विश्व में
- —————. से पर्यावरण को व्यापक नुकसान हुआ है तथा यह क्षति खतरे की हद तक पहुँच गई है।
उत्तर- 1. भारत एवं चीन, 2. 1982, 3. 1980, 4. गाझी (संयुक्त) सम्प 5. मानवीय गतिविधियाँ ।
सत्य / असत्य
- पृथ्वी पर मौजूदा सबसे शक्तिशाली उद्योग, खनिज उद्योग’ है।
- भारत में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2010 में पारित हुआ था।
- पर्यावरण प्रदूषण हेतु केवल औद्योगिक देश ही नहीं बल्कि विश्व के सभी बराबर के उत्तरदायी है।
- 1960 के दशक में पर्यावरण से सम्बन्धित मामले राजनीति के मामले बने थे।
- संयुक्त राष्ट्र संघ की पर्यावरण एवं विकास सम्बन्धी रिपोर्ट का शीर्षक हमारा भविष्य है। उत्तर- 1. सत्य, 2. असत्य, 3. असत्य, 4. सत्य, 5. सत्य।
जोड़ी मिलाइए
‘क‘ ‘ख’
- विश्व पर्यावरण दिवस (i) वातावरण
- विश्व वानिकी दिवस (ii) 5 जून
- विश्व ओजोन दिवस (iii) ऐजेण्डा 21
- ट्रैजिडी ऑफ कॉमन्स (iv) 16 सितम्बर
- रियो सम्मेलन के सुझाव (v) 20 मार्च
उत्तर- 1. (ii), 2. (v), 3. (iv), 4. (i), 5. (iii).
एक शब्द / वाक्य में उत्तर
- 1972 में क्लब ऑफ रोम ने कौन-सी पुस्तक प्रकाशित की थी?
- पर्यावरण से जुड़े किसी एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन का नाम लिखिए।
- पर्यावरण को नुकसान (अति) पहुँचाए बिना होने वाले आर्थिक विकास को क्या कहते हैं?
- जलवायु के परिवर्तन से सम्बन्धित संयुक्त राष्ट्र संघ के नियमाचार को किस नाम से जाना जाता है?
- किन्हीं दो प्राकृतिक संसाधनों के नाम लिखिए जिनको लेकर राष्ट्रों में संघर्ष होता रहा है?
- संयुक्त राष्ट्र संघ ने सर्वप्रथम किस परिषद् को परामर्शदात्री परिषद का दर्ज दिया ?
उत्तर- 1. लिमिट्सि टू ग्रोथ, 2. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP), 3. टिकाऊ विकास, 4. यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कर्वेशन ऑफि क्लाइमेट चेन्ज, 5. खनिज तेल तथा जल, 6. वर्ल्ड काउंसिल ऑफ इंडिजिनस पीपुल
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. विश्व राजनीति में पर्यावरण सम्बन्धी चिन्ता के काई दो कारण लिखिए।
उत्तर-(1) वर्तमान विश्व की उपजाऊ भूमि के बड़े हिस्से की उर्वरता कम हो रही है।
(2) वायुमण्डल में ओजोन गैस की मात्रा में निरन्तर कमी होती जा रही है।
प्रश्न 2. वैश्विक खाद्यान्न उत्पादन में कमी के दो कारण लिखिए।
उत्तर- (1) जल प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है तथा
(2) धीरे-धीरे चरागाह
प्रश्न 3. प्राकृतिक वनों से होने वाले कोई दो लाभ लिखिए। समाप्त हो रहे हैं।
उत्तर- (1) प्राकृतिक वन जलवायु को सन्तुलित करने में सहायक हैं तथा
(2) प्राकृतिक वन जल चक्र को सन्तुलित बनाकर रखते हैं, जिससे वर्षा होती है।
प्रश्न 4. वनों से सम्बन्धित हमारी चिन्ताएँ क्या हैं? कोई दो बिन्दु लिखिए।
उत्तर- (1) वनों की कटाई से जैव-विविधता को हानि हो रही है तथा
(2) वनों के अन्धाधुन्ध कटने से बाढ़ की सम्भावनाएँ बढ़ रही हैं।
प्रश्न 5. रियो पृथ्वी सम्मेलन के किन्हीं दो परिणामों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर- (1) रियो सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन, जैव-विविधता एवं वानिकी के सम्बन्ध में कुछ नियमाचार निर्धारित हुए तथा
(2) सम्मेलन में इस बात पर सहमति बनी कि आर्थिक विकास का तरीका ऐसा होना चाहिए जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान (क्षति न पहुँचे।
प्रश्न 6. एजेण्डा-21 की आलोचना किस आधार पर की जाती है?
उत्तर- एजेण्डा-21 के आलोचकों की स्पष्ट मान्यता है कि इसका झुकाव पर्यावरण संरक्षण को सुनिश्चित करने की अपेक्षा आर्थिक वृद्धि की ओर है।
प्रश्न 7. ओजोन परत में छेद होना क्या है?
उत्तर– पृथ्वी के ऊपरी वायुमण्डल में ओजोन गैस की मात्रा में लगातार कमी हो रही है, जिसे ओजोन परत में छेद होना कहते हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. चिपको आन्दोलन क्या है? संक्षेप में लिखिए।
उत्तर – 1973 में पेड़ों को बचाने हेतु सामूहिक कार्यवाही की, एक असाधारण घटना ने वर्तमान उत्तराखण्ड राज्य के महिला एवं पुरुषों की एकजुटता ने वनों की व्यावसायिक कटाई का भारी विरोध किया। इस विरोध का मूल कारण यह था कि सरकार ने खेल सामग्री के निर्माणकर्त्ता को जंगल की कटाई की व्यावसायिक अनुमति प्रदान कर दी थी। इससे ग्रामवासियों में रोष उत्पन्न हो गया तथा उन्होंने अपने विरोध को व्यक्त करने हेतु एक नए प्रकार का उपाय प्रयुक्त किया। इन लोगों ने पेड़ों को कटने से बचाने के लिए उन्हें अपनी बाँहों में घेर लिया। व
प्रश्न 2. नर्मदा बचाओ आन्दोलन में बाँध परियोजनाओं का विरोध क्यों किया गया ?
उत्तर- नर्मदा बचाओ आन्दोलन में बाँध परियोजनाओं का विरोध निम्नांकित कारणों में किया गया-
(1) बाँध से प्राकृतिक नदियों तथा पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
(2) जिस क्षेत्र में बाँधों का निर्माण किया जाता है वहाँ के गरीब निवासियों के भवनों कृषि योग्य भूमि तथा वर्षों से चले आ रहे कुटीर उद्योग-धन्धों पर भी विपरीत प्रभाव पड़त है। उदाहरणार्थ-सरदार सरोवर परियोजना पूर्ण होने पर गुजरात, मध्य प्रदेश तथा महाराष्ट्र के लगभग 245 गाँवों के जलमग्न होने का खतरा है।
(3) प्रभावित गाँवों के लगभग ढाई लाख लोगों के पुनर्वास की समस्या को लेकर भी बाँध परियोजनाओं का विरोध किया गया।
(4) परियोजना पर किए जाने वाले व्यय में हेराफेरी के अवगुण एवं खामियाँ उजागर करना भी परियोजना विरोधी सेवकों का उद्देश्य था।
प्रश्न 3. मूलवासियों की चार प्रमुख माँगें लिखिए।
उत्तर-मूलवासियों की चार प्रमुख माँगें निम्न प्रकार है-
(1) वैश्विक स्तर पर मूलवासियों को बराबरी का दर्जा दिया जाए।
(2) मूलवासियों को अपनी स्वतन्त्र पहचान बनाए रखने वाले समुदाय के रूप में जाना चाहिए।
(3) मूलवासियों को देश के विकास का भरपूर लाभ दिया जाना चाहिए।
(4) मूलवासियों के आर्थिक संसाधनों का अधिकाधिक दोहन नहीं किया जाना चाहिए।
प्रश्न 4. पर्यावरण के सम्बन्ध में हम मूलवासियों के अधिकारों की रक्षा किस प्रकार कर सकते हैं?
उत्तर- पर्यावरण के सम्बन्ध में मूलवासियों के अधिकारों की रक्षा हम निम्न प्रकार करसकते हैं-
(1) ये वनवासी हैं जिनका प्राकृतिक आवास वन क्षेत्र है अतः इनके आवास अर्थात् वन क्षेत्र को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित की गई सीमा अर्थात् कुल भूमि क्षेत्र का 33-3 प्रतिशत तक बढ़ा दिया जाए।
(2) मूलवासियों (आदिवासियों) को उनकी परम्परा में बदलाव किए बिना मूल रूप में राजनीतिक संरक्षण प्रदान किया जाए।
(3) मूलवासियों को संगठित करके वैश्विक स्तर पर संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रतिनिधित्व दिलाया जाए।
(4) मूलवासियों के शिक्षा एवं स्वास्थ्य इत्यादि मानवीय विषयों को मार्गदर्शन करके तथा मुख्य धारा के साथ जुड़ने की इनमें स्वतः इच्छा जाग्रत की जाए।
प्रश्न 5. ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को नियन्त्रित करने हेतु भारत द्वारा किए गए किन्हीं चार प्रायासों को लिखिए।
उत्तर- ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को नियन्त्रित करने के लिए भारत द्वारा अनेक प्रयासm किए गए हैं जिनमें से प्रमुख निम्न प्रकार है- (1) भारत ने क्योटो प्रोटोकॉल को 2002 में हस्ताक्षरित करके उसका अनुमोदन किया है।
(2) भारत ने अपनी राष्ट्रीय मोटर कार ईंधन नीति के अन्तर्गत वाहनों हेतु VI स्वच्छतर ईंधन अनिवार्य कर दिया है।
(3) 2001 में पारित ऊर्जा संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत ऊर्जा के अधिक कारगर उपयोग पर विशेष बल दिया गया है।
(4) विद्युत् अधिनियम 2003 के अन्तर्गत प्राकृतिक गैस के आयात, अपूरणीय ऊर्जा के उपयोग तथा स्वच्छ कोयले के उपयोग पर आधारित प्रौद्योगिकी को अपनाने की दिशा में कार्य करना शुरू कर दिया है।
प्रश्न 6. ऐजेण्डा 21 के प्रमुख बिन्दु लिखिए। –
उत्तर – 1992 में संयुक्त राष्ट्र संघ का पर्यावरण एवं विकास के मुद्दे पर केन्द्रित एक सम्मेलन ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में आयोजित हुआ था। सम्मेलन में 21वीं शताब्दी हेतु एक विशाल कार्यक्रम अर्थात् ऐजेण्डा 21 पारित किया गया जिसके प्रमुख बिन्दु निम्न प्रकार थे-
(1) पर्यावरण तथा विकास के बीच सम्बन्ध में मुद्दों को समझा जाए।
(2) ऊर्जा का अधिक कुशल तरीके से प्रयोग किया जाए।
(3) किसानों को पर्यावरण के सम्बन्ध में ज्यादा-से-ज्यादा जानकारी दी जाए।
(4) प्रदूषण फैलाने वालों पर भारी अर्थदण्ड लगाया जाए।
(5) पर्यावरण के सम्बन्ध में राष्ट्रीय योजनाएँ बनाकर उनको सख्ती से लागू किया जाए।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. पर्यावरण प्रदूषण से क्या तात्पर्य है? पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख कारण
अथवा
पर्यावरण आशय स्पष्ट करते हुए पर्यावरण प्रदूषण के किन्हीं पाँच कारणों को समझाकर लिखिए।
उत्तर– पर्यावरण का अभिप्राय
पर्यावरण’ का प्रादुर्भाव ‘परि’ तथा ‘आवरण’ शब्दों से मिलकर हुआ है। ‘परि’ का शाब्दिक अर्थ चारों ओर और ‘आवरण’ का अभिप्राय घेरा होता है। अतः पर्यावरण वह इकाई है जो कि हमें चारों ओर से घेरे हुए है। पर्यावरण का तात्पर्य स्पष्ट करते हुए सी. सी. पार्क ने कहा है कि “पर्यावरण वह समस्त परिवेश है जिससे मानव एक निश्चित समय एवं स्थान से घिरा रहता है।” इस प्रकार पर्यावरण को परिभाषित करते हुए कहा जा सकता है कि जीवित प्राणियों के अस्तित्व तथा जीवन को प्रभावित करने वाले सभी तत्व एवं कारक पर्यावरण है।
पर्यावरण प्रदूषण के कारण
पर्यावरण प्रदूषण के अनेक कारण हैं जिनमें से कुछ प्रमुख निम्न प्रकार हैं-
(1) वनों की अंधाधुंध कटाई– नगरीकरण तथा औद्योगीकरण की विभिन्न जरूरतों को पूरा करने के लिए भारी मात्रा में वनों (वृक्षों की कटाई पर्यावरणीय प्रदूषण की मुख्य वजह है। ऑक्सीजन के मुख्य वाहक वृक्षों की कटाई से जहाँ भूमि की उपजाऊ क्षमता में कमी आती है, वहीं अनेक बीमारियाँ भी फैलती हैं।
(2) कृषि का व्यवसायीकरण– कृषि के व्यवसायीकरण ने पर्यावरणीय प्रदूषण को और अधिक बढ़ा दिया है। जहाँ रासायनिक खादों से मिट्टी की स्वाभाविक उपज पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, वहीं इनके कारण पर्यावरण भी असन्तुलित होता चला जाता है।
(3) प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग -रासायनिक खादों, कीटनाशकों, चर्म शोधन कारखानों, ताप विद्युत् गृहों के साथ ही जहरीली गैसें छोड़ते हुए उद्योगों ने भी पर्यावरण प्रदूषण को अत्यधिक बढ़ाया है।
(4) बाँध परियोजनाएँ तथा अवैध खनन- विशाल बाँध परियोजनाओं ने भी पर्यावरणीय प्रदूषण में वृद्धि की है। इनकी वजह से निचले क्षेत्र जलमग्न होते चले जाते हैं जिसका सीधा असर आम जनजीवन पर पड़ता है। इसी तरह पर्वतीय क्षेत्रों में अवैध खननों की वजह से घाटी बंजर जमीन में बदलती जा रही है, जो पर्यावरण प्रदूषण का वाहक है।
(5) विकास का असन्तुलित कार्यक्रम- देश में पर्यावरणीय प्रदूषण का एक प्रमुख कारण विकास का असन्तुलित कार्यक्रम है।
प्रश्न 2. भारत में पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ लिखते हुए इसके प्रकार लिखिए।
अथवा
पर्यावरण से आप क्या समझते हैं ? पर्यावरण प्रदूषण के पाँच प्रकार लिखिए।\
पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ
भारत में पर्यावरण प्रदूषण का अभिप्राय जैवमण्डल में ऐसे अनेक तत्वों के समावेश से है, जो धीरे-धीरे व्यक्ति की जीवन देने वाली शक्तियों को नष्ट कर रहे हैं।
पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार
भारत में पर्यावरणीय प्रदूषण के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं-
(1) भूमि प्रदूषण- गंदा पानी, उर्वरक तथा कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से भूमि प्रदूषित होती जा रही है, जो फसलों की वृद्धि रोकने में कारक बनने के अलावा जहरीला उत्पादन देती है।
(2) वायु प्रदूषण– उद्योग-धंधों द्वारा हवा में जहरीली गैसें तथा धुआँ छोड़ा जाता है। जिससे वायु प्रदूषित होती है और व्यक्ति का साँस लेना कठिन हो जाता है।
(3) जल प्रदूषण– निश्चित अनुपात में खनिज, कार्बनिक एवं अकार्बनिक पदार्थ तथा गैसों से जल का निर्माण होता है और जब इसमें भारी मात्रा में अन्य दूषित पदार्थ मिल जाते हैं, यह प्रदूषित हो जाता है।
(4) ध्वनि प्रदूषण — हमारे सुनने की एक क्षमता होती है तथा जब यन्त्रों, वाहनों तथा – ध्वनि विस्तारक यन्त्रों से भारी शोरगुल उत्पन्न होता है, तो वह ध्वनि को प्रदूषित करने मेंसहायक होता है।
(5) रेडियोधर्मी प्रदूषण— आज विज्ञान ने आशातीत सफलता अर्जित की है लेकिन इससे रेडियोधर्मी किरणों का प्रसार होता है, जो कि पर्यावरणीय प्रदूषण को बढ़ने में सहायक है।
प्रश्न 3. वनों की कटाई का पर्यावरण पर क्या दुष्प्रभाव पड़ा ?
उत्तर– वनों की कटाई का पर्यावरण पर दुष्प्रभाव
वर्तमान में दिन-प्रतिदिन औद्योगीकरण तथा नगरीकरण विस्तृत स्वरूप लेता जा रहा है। इनकी विभिन्न जरूरतों को पूरा करने के लिए वनों को उजाड़ते हुए भारी मात्रा में उनकी कटाई की जा रही है। वृक्षों को भारी संख्या में काटने से पर्यावरण के समक्ष एक कठोर समस्या उत्पन्न हो गई है। वृक्षों की कटाई ने पर्यावरण को असन्तुलित कर दिया है और अब राष्ट्रों को सूखे की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है।
सर्वविदित वैज्ञानिक तथ्य है कि वन बादलों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं तथा वे वर्षा के वाहक है। यदि पर्याप्त मात्रा में वन नहीं होंगे तो वर्षा कैसे होगी तथा सूखे की समस्या से कैसे छुटकारा पाया जाएगा। वन पानी के बहाव को भी नियन्त्रित करते हैं तथा इनसे भूमि का कटाव भी रुकता है। वनों की अंधाधुंध कटाई से यह समस्या भयावह रूप ले सकती है।
वृक्ष हमें जीवनदायिनी ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। यदि वनों की कटाई इसी गति से होती रही तो हमारे स्वास्थ्य के समक्ष कठिन चुनौती उत्पन्न हो जाएगी तथा हम विभिन्न रोगों से ग्रसित हो जाएँगे। वृक्षों से हमें बहुमूल्य फल, फूल, छाल तथा स्वास्थ्यवर्द्धक औषधियाँ प्राप्त होती हैं, यदि इन्हें काट दिया जाएगा तो हमें इनसे प्राप्त होने वाली बहुमूल्य सामग्री से वंचित होना पड़ेगा।
प्रश्न 4. चिपको आन्दोलन के कारणों एवं प्रभाव की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
चिपको आन्दोलन के कारण
वर्तमान उत्तराखण्ड के कुछ हिस्सों में चले चिपको आन्दोलन के उदय के प्रमुख कारण निम्न प्रकार हैं-
(1) चिपको आन्दोलन का श्रीगणेश उत्तराखण्ड के दो-तीन गाँवों में हुआ। आन्दोलन की पृष्ठभूमि में एक घटनाक्रम है। गाँव वालों ने वन विभाग से अपने कृषि यन्त्र बनाने के लिए ऐशट्री काटने की अनुमति माँगी थी, लेकिन वन विभाग ने उन्हें अनुमति देने से स्पष्ट इन्कार कर दिया और विभाग ने जमीन का वही हिस्सा एक खेल सामग्री का निर्माण करने वाली कम्पनी को व्यावसायिक प्रयोग हेतु आबंटित कर दिया।
(2) आन्दोलन के दौरान क्षेत्र की पारिस्थितिकी तथा आर्थिक शोषण के अनेक बड़े प्रश्न उठाए गए। ग्रामीणों ने सरकार से पुरजोर माँग की कि वनों की कटाई का कोई भी अनुबन्ध अर्थात् ठेका बाहरी व्यक्ति को नहीं दिया जाना चाहिए। आन्दोलनकारियों की स्पष्ट माँग थी कि स्थानीय जनता का जल, जंगल तथा जमीन जैसे प्राकृतिक साधनों पर प्रभावी नियन्त्र , होना चाहिए।
(3) स्थानीय लोग चाहते थे कि सरकार लघु उद्योगों के लिए कम कीमत की सामग्री उपलब्ध कराए तथा इस क्षेत्र के पारिस्थितिकी सन्तुलन को किसी प्रकार की क्षति पहुँचाए बिना यहाँ का विकास सुनिश्चित करे चिपको आन्दोलन के दौरान भूमिहीन वन कर्मचारियों का आर्थिक मुद्दा भी उठाया गया तथा न्यूनतम मजदूरी की गारण्टी की माँग की गई।
चिपको आन्दोलन का प्रभाव
अन्त में चिपको आन्दोलन को सफलता हासिल हुई। सरकार ने पन्द्रह वर्षों की समयावधि के लिए हिमालयी क्षेत्रों में पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी जिससे कि इस समयावधि में क्षेत्र का वनाच्छादन फिर से उचित अवस्था में आ जाए। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि सिर्फ चिपको आन्दोलन सफल ही नहीं हुआ बल्कि यह सत्तर के दशक तथा उसके पश्चात् के वर्षों में भारत के विभिन्न हिस्सों में उठे अनेक जन-आन्दोलनों का प्रेरणा स्रोत भी बना।
प्रश्न 5. भारत में पर्यावरणीय आन्दोलनों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। अथवा भारतीय पर्यावरण आन्दोलन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- भारत में पर्यावरणीय आन्दोलन
भारत में पर्यावरणीय आन्दोलनों का वर्णन निम्नांकित बिन्दुओं द्वारा किया जा सकता है-
(1) आजाद भारत में वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए अनेक स्थानों पर अभ्यारण्ये (सेन्चुरी) की स्थापना की गई है। इनमें अनेक प्रकार के दुर्लभ जीवों की सुरक्षा की व्यवस्था की गई है, जिससे जंगलों की संख्या बढ़े तथा पर्यावरणीय वातावरण स्वच्छ हो ।
(3) सिंचाई हेतु विभिन्न बाँधों की स्थापना की गई है। इन बाँधों से सिंचाई एवं विद्युत् उत्पादन दोनों का कार्य चलने लगा है।
(4) भारतीय कृषि क्षेत्र में हरित क्रान्ति द्वारा खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त की गई है।
(5) यातायात के विकास की दिशा में क्रान्ति लाई गई है तथा देश में चारों ओर सड़कों का जाल बिछा दिया गया है। इसी प्रकार रेल लाइनें बिछाकर भारतीय रेलवे ने एक स्थान को दूसरे से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है। आज दूरसंचार में हुई क्रान्ति का ही प्रतिफल है, जो घर-घर में टेलीफोन एवं इण्टरनेट व्यवस्था पहुँच पाई है।
Conclusion :–
इस पोस्ट में हमने MP Board, cg board…etx. के कक्षा 12 राजनीति शास्त्र पाठ्यपुस्तक के पहले अध्याय-7 समकालीन विश्व में सुरक्षा [Security in Contemporary World]का समाधान को देखा, हमारे इसी वेबसाइट पे आपको कक्षा 12 के जीवविज्ञान के सलूशन, भौतिकी के सलूशन, गणित के सलूशन, रसायन विज्ञान के सलूशन, अंग्रेजी के सलूशन भी मिलेंगे. आप उन्हें भी ज़रूर देखे.
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