हमारे www.ncertskill.com के इस पोस्ट में आपका स्वागत है, इस पोस्ट में आप कक्षा 12 के राजनीति शास्त्र [ खण्ड ‘अ’ समकालीन विश्व राजनीति ] पाठ्यपुस्तक पहला अध्याय 9वैश्वीकरण[Globalisation] |[Environment and Natural Resources] का पूरा समाधान देखेंगे | कक्षा 12 की पाठ्यपुस्तक राजनीति शास्त्र का पूरा समाधान हिंदी में. इस पोस्ट में आप Class 12th Political Science Book Solutions for Mp Board देख सकते है. यह सभी स्टूडेंट्स के लिए फ्री है. आप इस पेज पर 12 political science solutions in Hindi textbook बिलकुल ही फ्री में पढ़ सकते है. यह समाधान कक्षा 12 के राजनीति शास्त्र के नवीनतम पाठ्यक्रम पर आधारित है. इसमें कक्षा 12 के राजनीति शास्त्र के हर चैप्टर के समाधानं नवीनतम पाठ्यक्रम पर आधारित है.
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Ncert Solutions For Class 12th Political Science in Hindi |
प्रश्न 1. वैश्वीकरण के बारे में कौन-सा कथन सही है ?
(क) वैश्वीकरण सिर्फ आर्थिक परिघटना है।
(ख) वैश्वीकरण की शुरुआत 1991 में हुई।
(ग) वैश्वीकरण और पश्चिमीकरण समान हैं।
(घ) वैश्वीकरण एक बहुआयामी परिघटना है।
उत्तर- (घ) वैश्वीकरण एक बहुआयामी परिघटना है।
प्रश्न 2. वैश्वीकरण के प्रभाव के बारे में कौन-सा कथन सही है ?
(क) विभिन्न देशों और समाजों पर वैश्वीकरण का प्रभाव विषम रहा है।
(ख) सभी देशों और समाजों पर वैश्वीकरण का प्रभाव समान रहा है।
(ग) वैश्वीकरण का असर सिर्फ राजनीतिक दायरे तक सीमित है।
(घ) वैश्वीकरण से अनिवार्यतया सांस्कृतिक समरूपता आती है।
उत्तर- (क) विभिन्न देशों और समाजों पर वैश्वीकरण का प्रभाव विषम रहा है।
प्रश्न 3. वैश्वीकरण के कारणों के बारे में कौन-सा कथन सही है?
(क) वैश्वीकरण का एक महत्त्वपूर्ण कारण प्रौद्योगिकी है।
(ख) जनता का एक खास समुदाय वैश्वीकरण का कारण है।
(ग) वैश्वीकरण का जन्म संयुक्त राज्य अमरीका में हुआ।
(घ) वैश्वीकरण का एकमात्र कारण आर्थिक धरातल पर पारस्परिक निर्भरता है।
उत्तर- (क) वैश्वीकरण का एक महत्त्वपूर्ण कारण प्रौद्योगिकी है।
प्रश्न 4. वैश्वीकरण के बारे कौन-सा कथन सही है?
(क) वैश्वीकरण का सम्बन्ध सिर्फ वस्तुओं की आवाजाही से है।
(ख) वैश्वीकरण में मूल्यों का संघर्ष नहीं होता।
(ग) वैश्वीकरण के अंग के रूप में सेवाओं का महत्त्व गौण है।
(घ) वैश्वीकरण का सम्बन्ध विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव से है।
उत्तर- (घ) वैश्वीकरण का सम्बन्ध विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव से
प्रश्न 5. वैश्वीकरण के बारे में कौनसा कथन गलत है?
(क) वैश्वीकरण के समर्थकों का तर्क है कि इससे आर्थिक समृद्धि बढ़ेगी।
(ख) वैश्वीकरण के आलोचकों का तर्क है कि इससे आर्थिक असमानता और ज्यादा बढ़ेगी।
(ग) वैश्वीकरण के पैरोकारों का तर्क है कि इससे सांस्कृतिक समरूपता आएगी।
(घ) वैश्वीकरण के आलोचकों का तर्क है कि इससे सांस्कृतिक समरूपता आएगी।
उत्तर- (घ) वैश्वीकरण के आलोचकों का तर्क है कि इससे सांस्कृतिक सम आएगी।
प्रश्न 6. विश्वव्यापी ‘पारस्परिक जुड़ाव क्या है? इसके कौन-कौनसे घटक हैं?
उत्तर- वैश्वीकरण की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण विशेषता ‘पारस्परिक जुड़ाव ‘ है। वैश्वीकरण के अन्तर्गत देशों तथा क्षेत्रों के बीच वैश्विक स्तर पर विचारों, पूँजी, वस्तुओं तथा व्यक्तियों का प्रवाह बढ़ जाता है। इस प्रवाह की गति तीव्र तथा इसके प्रसार का धरातल विस्तृत होता है। यही वैश्वीकरण की पहचान भी है।
(1) विश्व के किसी एक भाग के विचारों एवं धारणाओं का दूसरे अन्य हिस्से में पहुँचना
(2) पूँजी का संसार के एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचना जो प्रमुख रूप से निवेश के रूप में होती है।
(3) वस्तुओं का एक देश से दूसरे अन्य देशों में पहुँचना तथा उनका विस्तृत अथवा बढ़ता हुआ व्यापार
(4) बेहतर आजीविका तथा रोजगार की खोज में दुनिया के विभिन्न हिस्सों में लोगों के आवागमन का बढ़ना ।
प्रश्न 7. वैश्वीकरण में प्रौद्योगिकी का क्या योगदान है?
उत्तर- वैश्वीकरण का एक अति महत्त्वपूर्ण कारण प्रौद्योगिकी की लगातार होती चली जा रही प्रगति ही है। निःसन्देह टेलीग्राम, टेलीफोन, कम्प्यूटर एवं माइक्रोचिप तथा इण्टरनेट के नए आविष्कारों ने विश्व के दूर-दराज के विभिन्न भागों के बीच संचार क्रान्ति का बिगुल फूंक दिया है। इस प्रौद्योगिकी ने हमारे सोचने की तरीके तथा सामूहिक जीवन की गतिविधिय को ठीक उसी प्रकार प्रभावित किया है जैसे मुद्रण की तकनीक का प्रभाव हमारी राष्ट्रवादी भावनाओं पर पड़ा था।
वर्तमान में इण्टरनेट की सुविधा के चलते ई-मेल, ई-कॉमर्स, ई-बैंकिंग तथा ई-लर्निंग जैसी तकनीकें अस्तित्व में आ चुकी हैं। इनके द्वारा कुछ पलों में ही विश्व के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में पत्राचार एवं व्यापार किया जा सकता है। नवीन बाजार खोजना तथा ज्ञान के नए स्रोत खोजना आज अत्यधिक सरल हो गया है। अन्त में कहा जा सकता है कि प्रौद्योगिकीतथा विशेष रूप से सूचना प्रौद्योगिकी ने वैश्वीकरण की प्रक्रिया को आसान, तेज तथा व्यापक बना दिया है।
प्रश्न8 वैश्वीकरण के सन्दर्भ में विकासशील देशों में राज्य की बदलती आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। का भूमिका
उत्तर- निजीकरण तथा उदारीकरण वैश्वीकरण के जरूरी सहगामी विचार है जिनके व्यापक परिणाम हुए हैं। वैश्वीकरण का सर्वाधिक व्यापक प्रभाव विकासशील देशों में राज्य एवं सरकारों की भूमिका एवं कार्यों पर पड़ा है। राज्य अब कल्याणकारी कार्यों से बच रहे है तथा वे अपने आवश्यक कार्यों, जैसे कानून एवं व्यवस्था तथा बाह्य सुरक्षा जैसे कार्यों तक ही सीमित होकर रह गए हैं।
उदारीकरण एवं निजीकरण की वजह से देशों ने अपने अनेक आर्थिक कार्य निजी हाथों में सौंपे भारतीय शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं का निजीकरण इसका श्रेष्ठ उदाहरण माना जा सकता है। अब अर्थव्यवस्था को प्रभावित एवं नियन्त्रित करने की राज्य की क्षमता गौण हो गई है और उसका स्थान बाजारी शक्तियों ने ले लिया है। विकासशील देशों में वैश्वीकरण के इस प्रभाव की तीव्र शब्दों में आलोचना की जा रही है।
विकासशील देशों में गरीबी, निम्न जीवन स्तर, अशिक्षा, बेरोजगारी तथा कुपोषण जैसी सामाजिक एवं आर्थिक समस्याएँ वर्तमान में भी विद्यमान हैं। राज्य की आर्थिक नीतियाँ वैश्वीकरण से प्रभावित हो रही हैं। प्रत्येक देश अपने आर्थिक नीतियाँ निर्मित करते समय विश्व में होने वाले आर्थिक घटनाक्रम तथा विश्व बैंक तथा विश्व व्यापार संगठन के प्रभाव में रहता है।
प्रश्न 9. वैश्वीकरण की आर्थिक परिणतियाँ क्या हुई हैं? इस सन्दर्भ में वैश्वीकरण ने भारत पर कैसे प्रभाव डाला है?
उत्तर – बहु-आयामी वैश्वीकरण की धारणा के आर्थिक परिणाम अथवा प्रभाव अत्यधिक व्यापक हैं जिन्हें संक्षेप में निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) विश्व आर्थिक नीतियों के निर्धारण में विश्व बैंक, अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा विश्व व्यापार संगठन के साथ अन्य समूह, संस्थाओं तथा बहु-राष्ट्रीय निगमों का किसी-न-किसी रूप में योगदान रहता है। पहले यह कार्य मुख्यतया अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा किया जाता था।
(2) वैश्वीकरण की वजह से दुनिया के देशों के बीच आर्थिक प्रवाह तीव्र हुआ है। ये प्रवाह स्वैच्छिक अथवा बाध्यकारी हो सकता है। इन प्रवाहों में विचार, व्यापार तथा पूँजी निवेश इत्यादि शामिल हैं।
(3) व्यापार एवं पूँजी प्रवाह की तुलना में देशों के बीच व्यक्तियों का प्रवाह अभी भी सीमित ही है क्योंकि विभिन्न देश वीजा नीति में छूट देने हेतु तैयार नहीं है।
(4) वैश्वीकरण की वजह से राज्य एवं सरकारें आर्थिक क्षेत्र में अपने उत्तरदायित्व कम करते चले जा रहे हैं। इससे निजीकरण एवं उदारीकरण को प्रोत्साहन मिला है और सामाजिक एवं आर्थिक न्याय के क्षेत्र में राज्य की भूमिका कम हुई है।
प्रश्न 10. क्या आप इस तर्क से सहमत है कि वैश्वीकरण से सांस्कृतिक विभि बढ़ रही है?
उत्तर- वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव से स्पष्ट है कि इसमें सांस्कृतिक समरूपता एवं सांस्कृतिक विभिन्नता दोनों ही प्रवृत्तियाँ देखने को मिलती है। वैश्वीकरण की वजह से। शक्तिशाली देशों की पाश्चात्य संस्कृति विकासशील देशों में अपनी जड़ें फैलाती चली जा है। पाश्चात्य संस्कृति के तत्त्व विश्वव्यापी स्वरूप लेते जा रहे हैं। बर्गर, पिज्जा, कारें, जीन्स एवं पाश्चात्य पहनावा इत्यादि अमेरिकी जीवन-शैली को अन्य देश ग्रहण कर रहे हैं।
सर्वविदित है कि राजनीतिक एवं आर्थिक रूप से शक्तिशाली संस्कृति कमजोर सम्प्रदायों पर अपना प्रभाव डालती ही है। वर्तमान में विश्व के अधि संख्य देश मैक्डोनाल्डीकरण एवं कोक से प्रभावित हैं। इस वैश्विक सांस्कृतिक समरूपता से अनेक परम्परागत संस्कृतियों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि विश्व में एक नवीन विश्व संस्कृति का उदय हो रहा है।
प्रश्न 11. वैश्वीकरण ने भारत को कैसे प्रभावित किया है और भारत कैसेवैश्वीकरण को प्रभावित कर रहा है?
उत्तर- वैश्वीकरण का भारत पर प्रभाव – वर्तमान विश्व एक ग्लोबल विलेज का स्वरूप धारण करता चला आ रहा है। ऐसे में भारत भी राजनीतिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक दृष्टिकोण से वैश्वीकरण से प्रभावित हुआ है। भारत पर वैश्वीकरण के प्रभाव को निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) भारत पर वैश्वीकरण का प्रमुख प्रभाव आर्थिक है। 1991 में वित्तीय संकट से ऊपर उठने के लिए हमने निजीकरण एवं आर्थिक उदारीकरण की नीतियों का अपनाया। भारत में व्यापार एवं विदेशी पूँजी की सीमा तथा क्षेत्रीय दायरे को बढ़ाया गया और आर्थिक एवं वित्तीय क्षेत्र में शासकीय क्षेत्र में नियन्त्रण को शिथिल किया गया।
(2) भारतीय राजनीतिक क्षेत्र में विभिन्न समूहों, कृषकों, श्रमिकों एवं वामपंथियों के विरोध के फलस्वरूप राज्य के कार्यक्षेत्र में व्यापक बदलाव नहीं किए गए। आर्थिक क्षेत्र में शासकीय भूमिका सीमित होने के बावजूद सामाजिक एवं कल्याणकारी क्षेत्र में शासन अभी भी कार्य कर रहा है लेकिन स्थिति पहले जैसी नहीं है।
(3) सांस्कृतिक क्षेत्र में भी भारत अन्य देशों की तरह पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित हुआ है। मैक्डोनाल्डीकरण, डिश कार्यक्रम, वैलेन्टाइन डे, कोक तथा पाश्चात्य उपयोग की अन्य वस्तुओं को पहुँच भारतीय समाज में बड़ी है। इसके बावजूद चूंकि भारतीय संस्कृति एक प्राचीन संस्कृति है जिसकी जड़ें काफी गहरी हैं अतः अभी वैचारिक स्तर पर पाश्चात्य संस्कृति उतनी हाबी नहीं हुई है जितना बाह्य व्यवहार में दिखाई देता है।
भारत का वैश्वीकरण पर प्रभाव – भारत ने भी वैश्वीकरण को प्रभावित किया है जिसे संक्षेप में निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) भारत के सॉफ्टवेयर इंजीनियर है विभिन्न पाश्चात्य देशों में तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं।
(2) विश्वस्तरीय उदारीकरण की वजह से अनेक भारतीय कम्पनियाँ विभिन्न देशों में अपने उत्पाद एवं सेवाएँ दे रहे हैं।
(3) वैश्वीकरण की वजह से भारतीय विचार, खान-पान, पहनावा इत्यादि अन्य देशों में पहुँच रहा है तथा अपना स्थान बनाता जा रहा है।
(4) भारतीय उत्पादों में विशेष रूप से हैण्डीक्राफ्ट इत्यादि को बाजार में अच्छी स्थिति प्राप्त हो रही है।
परीक्षोपयोगी अन्य प्रश्नोत्तर
class12th Political Science ke वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- वैश्वीकरण निम्नांकित में किसका प्रवाह है?
(क) पूँजी
(ख) वस्तुओं
(ग) विचारों
(घ) इन सभी का।
- निम्नांकित में वैश्वीकरण का राजनीतिक प्रभाव है-
(क) राज्य में कार्यों में कमी
(ख) वस्तुओं के व्यापार में वृद्धि
(ग) आर्थिक प्रवाह की तीव्रता
(घ) सांस्कृतिक समरूपता ।
- मैक्डोनाल्डीकरण वैश्वीकरण के किस प्रभाव का संकेत देता है?
(क) आर्थिक प्रभाव
(ख) सांस्कृतिक प्रभाव
(ग) राजनीतिक प्रभाव
(घ) वित्तीय प्रभाव।
- विकासशील देशों के लिए एक अभिनव प्रयोग है-
(क) श्रम क्षेत्र
(ख) वैश्वीकरण
(ग) आर्थिक क्षेत्र
(घ) समाजीकरण।
- निम्नांकित में कौन वैश्वीकरण का विरोध नहीं करता है?
(क) वामपंथी कार्यकर्त्ता
(ख) इण्डियन सोशल फोरम
(ग) बहुराष्ट्रीय निगम
(घ) वर्ल्ड सोशल फोरम।
- वैश्वीकरण निम्नांकित में से किस विचारधारा पर आधारित है ?
(क) साम्यवाद
(ख) अराजकतावाद
(ग) समाजवाद
(घ) उदारवाद।
- निम्नांकित में किस भारतीय प्रधानमन्त्री ने आर्थिक उदारीकरण की शु शुरुवा की थी ? (ख) अटल बिहारी वाजपेयी (क) पी. वी. नरसिंहराव
(ग) मनमोहन सिंह(घ) नरेन्द्र मोदी।
- निम्नांकित में कौन वैश्वीकरण (भूमण्डलीकरण) का आलोचक नहीं है ?
(क) नोम चोमस्की
(ख) ए.जी. फ्रँक
(ग) अमर्त्य सेन
(घ) इ. वालरस्टीन
उत्तर– 1. (घ) इन सभी का, 2. (क) राज्य के कार्यों में कमी, 3. (ख) सांस्कृति प्रभाव, 4. (ख) वैश्वीकरण, 5. (ग) बहुराष्ट्रीय निगम, 6. (घ) उदार 7. (अ) पी. वी. नरसिंहराव, 8. (ग) अमर्त्य सेन।
रिक्त स्थानों की पूर्ति
- वैश्वीकरण के कारण सम्पूर्ण विश्व में वस्तुओं के व्यापार में————– हुई है।
- वैश्वीकरण में विश्व एकीकृत होकर एक विशाल—————- बन जाता है।
- वैश्वीकरण से आर्थिक क्षेत्र में ‘ ————-का जन्म होता है।
- वैश्वीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करन हेतु प्रत्येक देश कुछ बाजारोन्मुखी ————————-का कार्यक्रम क्रियान्वित करता है।
- वैश्वीकरण के अन्तर्गत समस्त वस्तुओं के विभिन्न चरणों में —————– खुली छूट दी जाती है।
उत्तर- 1. वृद्धि, 2. वैश्विक बाजार 3. प्रतियोगिता, 4. आर्थिक सुधारों, 5. आयात
सत्य / असत्य
- भूमण्डलीकरण (वैश्वीकरण) में पूरा विश्व बँट जाता है।
- वैश्वीकरण आर्थिक समानता को जन्म देता है।
- वैश्वीकरण से पूँजीवाद को बढ़ावा मिलता है।
- वैश्वीकरण से रोजगार के अवसर कम हो जाते हैं।
- वैश्वीकरण के लक्ष्य को हासिल करने हेतु पारदर्शिता अत्यधिक आवश्यक है।
उत्तर- 1. असत्य, 2. असत्य, 3. सत्य, 4. असत्य, 5. सत्य ।
जोड़ी मिलाइए
- वैश्वीकरण के समक्ष चुनौतियाँ (i) पोर्टो अल गेरे (ब्राजील)
- भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (ii) 1991
- वर्ल्ड सोशल फोरम की प्रथम बैठककी स्थापना (iii) 1994
- मार्शल मैकलुहान (iv) प्रतियोगिता बनाए रखना
- भारतीय नवीन आर्थिक नीति (v) विश्व भूमण्डलीय ग्राम है।
उत्तर -1. (iv). 2. (iii), 3.(i), 4. (v), 5.(ii).
class12th Political Science ke एक शब्द / वाक्य में उत्तर
- प्रत्येक देश का अन्य देशों के साथ वस्तु, सेवा, पूँजी तथा बौद्धिक सम्पदा का अप्रतिबन्धित आदान-प्रदान क्या कहलाता है ?
- भारत में वैश्वीकरण का क्या उद्देश्य है ?
- भारत में वैश्वीकरण का विदेशी मुद्रा भण्डार पर क्या प्रभाव पड़ा ?
- भारत में वैश्वीकरण का विदेशी ऋण पर क्या प्रभाव पड़ा है?
- वैश्वीकरण के दक्षिणपंथी आलोचक इसके किस प्रभाव को लेकर चिंतित हैं?
उत्तर- 1. वैश्वीकरण (भूमण्डलीकरण), 2. इसका उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था का विश्व की अन्य अर्थव्यवस्थाओं के साथ जुड़ाव करना है, 3. विदेशी मुद्रा भण्डार अभूतपूर्वं स्तर तक पहुँच गया है, 4. विदेशी ऋण पर निर्भरता में कमी हुई है, 5. राजनीतिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक प्रभाव।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. भारत और चीन को क्योटो प्रोटोकॉल की बाध्यताओं से छूट क्यों दी गई ?
उत्तर- भारत और चीन को क्योटो न्यायाचार (प्रोटोकॉल) की बाध्यताओं से विकासशील देश होने के कारण छूट दी गई।
प्रश्न 2. वैश्वीकरण को प्रेरित करने वाली कोई दो परिस्थितियाँ लिखिए।
उत्तर- (1) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुए विकास तथा
(2) बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में वृद्धि तथा विकसित राष्ट्र द्वारा सम्पूर्ण विश्व को एक बाजार बनाने हेतु प्रयत्न करना।
प्रश्न 3. भारतीय आर्थिक सुधारों के अन्तर्गत किए गए कोई दो कार्य लिखिए।
उत्तर- (1) विभिन्न क्षेत्रों पर से आयात प्रतिबन्ध हटाए गए तथा
(2) व्यापार एवं विदेशी निवेश को प्रोत्साहित किया गया।।।
प्रश्न 4. किन दो तथ्यों के आधार पर कहा जा सकता है कि वैश्वीकरण एक बहु आयामी अवधारणा है?
उत्तर- (1) वैश्वीकरण का सम्बन्ध आर्थिक वैश्वीकरण, खुला बाजार, पूर्ण प्रतियोगिता तथा उदारीकरण से है।
(2) वैश्वीकरण सांस्कृतिक गतिशीलता का समर्थन करता है।
प्रश्न 5. वैश्वीकरण की कोई दो विशेषताएँ (लक्षण) लिखिए।
उत्तर- (1) वैश्वीकरण से अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय क्रियाकलापों में तेजी से आ जाती है तथा
(2) वैश्वीकरण से अन्तर्राष्ट्रीय बाजार का प्रादुर्भाव होता है।
प्रश्न 6. वैश्वीकरण के उदय के दो कारण लिखिए।
उत्तर- (1) इसके उदय का प्रमुख कारण युद्ध की सम्भावनाओं को कम करना था
(2) पर्यावरण को लगातार सन्तुलित बनाए रखना भी वैश्वीकरण के उदय का कारण रहा है।
प्रश्न 7. वैश्वीकरण के समक्ष विद्यमान कोई दो चुनौतियाँ लिखिए।
उत्तर- (1) अन्तर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य का विकास करना वैश्वीकरण के समक्ष एक गम्बी चुनौती है तथा
(2) वैश्वीकरण का परिणाम विविधता है जिसे कुशलतापूर्वक व्यवस्थित एक चुनौती है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. वैश्वीकरण अथवा भूमण्डलीकरण को संक्षेप में समझाइए
उत्तर- वैश्वीकरण तभी सम्भव है जब ऐसे आदान-प्रदान के दौरान किसी देश द्वारा बाधा उत्पन्न न की जाए तथा इन्हें कोई ऐसी अन्तर्राष्ट्रीय संस्था संचालित करे जिसमें समस्त देश आस्था रखते हों और जो सभी की अनुमति से नीति निर्धारक सिद्धान का प्रतिपादन करे। जब सभी देश एक समान नियमों में बँधकर अपने व्यापार एवं निवेश का संचालन करते हैं तो स्वाभाविक रूप से एक ही धारा प्रवाहित होती है तथा यही वैश्वीकरण है।
वैश्वीकरण में सभी वस्तुओं के आयात की खुली छूट सीमा शुल्क में कमी, विदेशी पूँजी के मुक्त प्रवाह की अनुमति, सेवा क्षेत्र विशेषकर बँकिंग, बीमा तथा जहाजरानी क्षेत्रों में विदेशी पूँजी के निवेश को छूट तथा मुद्रा को पूर्ण परिवर्तनीय करना इत्यादि उपायों का समावेश किया जाता है। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि इन उपायों को एक ही बार में लागू न करके विभिन्न चरणों में लागू किया जाता है।
प्रश्न 2. भूमण्डलीकरण के उदय के कारण लिखिए।
उत्तर- भूमण्डलीकरण के उदय के प्रमुख कारण निम्नवत् हैं-
(1) द्वितीय महायुद्ध से उत्पन्न समस्याओं के निराकरण हेतु भूमण्डलीकरण का हुआ।
(2) भूमण्डलीकरण के उदय का एक कारण ऐसी आर्थिक व्यवस्था की स्थापना करन रहा जिससे निर्धनता रूपी गड्ढे को भरा जा सके।
(3) राज्यों के अलगाववाद का अन्त करके उन्हें पुनः विश्व व्यवस्था में सक्रिय करने केउद्देश्य से भूमण्डलीकरण का उदय हुआ।
(4) भूमण्डलीकरण के उदय का एक अन्य कारण पर्यावरण सन्तुलन को बनाए रखन भी है।
प्रश्न 3. वैश्वीकरण के समक्ष चार चुनौतियाँ लिखिए।
उत्तर- वैश्वीकरण के समक्ष निम्नलिखित चुनौतियाँ हैं-
(1) वैश्वीकरण के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती प्रतिस्पद्धों को लगातार बनाए रखने की है।
(2) विभिन्न विकासशील देशों में स्वदेशी के नाम पर राजनीति की जाती है, जो कि वैश्वीकरण के समक्ष कठिन चुनौती प्रस्तुत करती है।
(3) वैश्वीकरण के रास्ते में अन्तर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य को विकसित करना भी एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।
प्रश्न 4. वैश्वीकरण की कोई चार विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर – वैश्वीकरण की प्रमुख चार विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं-
(1) वैश्वीकरण में व्यापार का तेजी से विकास होता है।
(2) इसमें राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को अन्तर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के साथ एकीकृत करके राजनीतिक एवं भौगोलिक अवरोध समाप्त किए जाते हैं।
(3) यह वैश्वीकरण की ही विशेषता है, जिससे अन्तर्राष्ट्रीय बाजार का प्रादुर्भाव होता है।
(4) वैश्वीकरण से अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय लेन-देन अथवा क्रियाकलापों में तीव्रता आती है।
प्रश्न 5. भूमण्डलीकरण से होने वाले कोई दो लाभ एवं दो हानि लिखिए।
उत्तर- भूमण्डलीकरण से लाभ –
(1) इससे आर्थिक क्षेत्र में प्रतिस्पर्द्धा बढ़ती हैं जिसके फलस्वरूप वस्तुओं की कीमत (मूल्य) कम हो जाती है।
(2) वैश्वीकरण में एक ही वस्तु का उत्पादन विभिन्न उत्पादकों द्वारा होता है। अतःउपभोक्ताओं को वस्तुओं के चयन करने के अधिक विकल्प रहते हैं।
भूमण्डलीकरण से हानि – (1) भूमण्डलीकरण से पूँजीवाद को प्रोत्साहन मिलता है। अतः पूँजीवाद के सभी अवगुण इसमें पाए जाते हैं।
(2) भूमण्डलीकरण से आर्थिक असमानता उदित होती है जो अमीर तथा गरीब के बीच की दूरी को और अधिक बढ़ाती है।
प्रश्न 6. आर्थिक वैश्वीकरण के पक्ष एवं विपक्ष में दो-दो तर्क दीजिए।
उत्तर- आर्थिक वैश्वीकरण का पक्ष – (1) आर्थिक वैश्वीकरण की वजह से समृद्धि बढ़ती है तथा खुलेपन के कारण अधिकाधिक जनसंख्या खुशहाल होती है।
(2) वैश्विक स्तर पर व्यापार में वृद्धि फलस्वरूप प्रत्येक देश को अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन करने का अवसर मिलता है जिसमें सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को लाभ मिलता है।
आर्थिक वैश्वीकरण का विरोध अथवा विपक्ष –
(1) आर्थिक वैश्वीकरण की वजह से सम्पूर्ण विश्व में जनमत काफी विभाजित हो गया है। की आवाज उठाई है क्योंकि इससे गरीब देश आर्थिक रूप से बर्बादी के कगार पर पहुँच जाएँगें।
(2) विश्व में हो रहे अनेक आन्दोलनों ने बलपूर्वक किए जा रहे वैश्वीकरण को रोकने विशेषतया इन देशों के निर्धन लोग एकदम बदहाल हो जाएँगे।
प्रश्न 7. वैश्वीकरण के प्रतिरोध के कोई चार कारण लिखिए।
उत्तर- वैश्वीकरण का प्रतिरोध निम्नलिखित कारणों से हो रहा है-
(1) वैश्वीकरण से परम्परागत संस्कृति को क्षति पहुंचेगी तथा लोग अपनी प्राचीन जीवनमूल्य एवं रीति-रिवाज से दूर हो जाएँगे।
(2) पैश्वीकरण की वजह से विकासशील देशों में बहुराष्ट्रीय कम्प एकाधिकारवादी प्रवृत्ति में लगातार वृद्धि होती जा रही है।
(3) वैश्वीकरण की प्रक्रिया का लाभ अधिकांश जनसाधारण तक नहीं पहुँच पाया है. इससे आर्थिक असमानता को बढ़ावा मिला है तथा तृतीय विश्व के देशों में गरीबी की
और अधिक चौड़ी होती चली जा रही है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. वैश्वीकरण ने विश्व की राजव्यवस्थाओं को प्रभावित किया है। विवेचन कीजिए।
उत्तर- वैश्वीकरण के राजनीतिक आयाम (प्रभाव) वैश्वीकरण ने विश्व की राजव्यवस्थाओं को प्रभावित किया है इसे संक्षेप में नि बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) वैश्वीकरण कुछ क्षेत्रों में राज्य शक्ति को कमजोर करता है- वैश्वीकरण क वजह से राज्य की क्षमता अर्थात् शासन को जो करना है उसे क्रियान्वित किए जाने की शक्ति में कमी आती है। इसे निम्न तीन बातों से स्पष्ट किया जा सकता है-
(i) वैश्वीकरण की वजह से सम्पूर्ण विश्व में लोककल्याणकारी राज्य की धारणा अब कमजोर पड़ती जा रही है। इसके स्थान पर राज्य की एक नवीन अवधारणा ‘न्यूनतम अहस्तक्षे राज्य की धारणा’ ने ले लिया है। इस धारणा को अपनाए जाने की वजह से ही राज्य कुछ कार्यों तक ही स्वयं को सीमित रखता है। उदाहरणार्थ- कानून एवं व्यवस्था को बनाए रखना तथा अपने नागरिकों की सुरक्षा करना इत्यादि
(ii) वैश्वीकरण के फलस्वरूप वैश्विक स्तर पर विकासशील देशों ने बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा अपने पैर फैलाकर अपनी भूमिका में बढ़ोत्तरी की है जिसके परिणामस्वरूप सरकारों को अपने बलबूते निर्णय लेने की क्षमता में कमी आई है।
(2) कुछ क्षेत्रों में राज्य शक्ति पर वैश्वीकरण का कोई प्रभाव नहीं – वैश्वीकरण की वजह से सदैव राज्य की शक्ति में कमी ही नहीं आती है। विश्व पटल पर अभी भी विभिन्न देशों के बीच विद्यमान प्राचीन ईर्ष्या एवं प्रतिद्वन्द्विता कायम है। वर्तमान समय में भी राज्य कानून एवं व्यवस्था तथा राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे अनिवार्य कार्यों को पूरा कर रहे हैं।
(3) वैश्वीकरण द्वारा कुछ क्षेत्रों में राज्य की शक्ति में अभिवृद्धि करना – वैश्वीकरण की वजह से कुछ क्षेत्रों में राज्य की शक्ति में सोत्तरी भी हुई है। वर्तमान संसार में वैश्वीकरण की वजह से राज्यों के पास आधुनिक प्रौद्योगिकी है जिसके बलबूते राज्य अपने नागरिकों के बारे में अनेक तरह की सूचनाएँ एकत्र कर सकता है। इन प्राप्त सूचनाओं के आधार पर राज्य अधिक कारगर तरीके से कार्य कर सकते हैं। इस क्षेत्र में राज्य की क्षमता कम न होकर बढ़ी ही है। इस नवीन प्रौद्योगिकी के परिणामस्वरूप राज्य अब पहले की अपेक्षाकृत अधिक बलशाली हो गए हैं।
प्रश्न 2. भारत में वैश्वीकरण अथवा भूमण्डलीकरण का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर– भारत में वैश्वीकरण का मूल्यांकन
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापारिक एवं वित्तीय संस्थानों द्वारा बनाए गए कार्यक्रमों द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था का तीव्रता से वैश्वीकरण किया जा रहा है। देश में उदारीकरण तथा निजीकरण सहित आर्थिक सुधारों के अन्य कार्यक्रम भी लागू किए जा रहे हैं। कुछ क्षेत्रों में उत्साहवर्द्धक उपलब्धियाँ रही हैं। जहाँ विदेशी मुद्रा का भण्डार अभूतपूर्व स्तर तक पहुँचा है, वहीं निर्यात में भी वृद्धि हुई है। हालांकि हाल के कुछ ही वर्षों में निर्यात एवं कृषि की विकास दरों में गतिरोध उत्पन्न हो गया जिससे विदेशी व्यापार का घाटा बढ़ने लगा है। वैश्वीकरण के फलस्वरूप विदेशी ऋण पर निर्भरता में कमी हुई है तथा विदेशी पूँजी निवेश बढ़ा है।
हालांकि ब्राजील तथा चीन की अपेक्षाकृत यह काफी कम है। भारत में प्रौद्योगिकी के स्तर का उच्चीकरण हुआ है तथा यह आशंका निर्मूल सिद्ध हुई है कि बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ देश की अर्थव्यवस्था पर अपना कब्जा जमा लेंगी। भारतीय अर्थव्यवस्था के कुल निवेश में विदेशी पूँजी निवेश का कुल हिस्सा सिर्फ तीन प्रतिशत है।
Conclusion :–
इस पोस्ट में हमने MP Board, cg board…etx. के कक्षा 12 राजनीति शास्त्र पाठ्यपुस्तक के पहले अध्याय-अध्याय 9वैश्वीकरण[Globalisation] | का समाधान को देखा, हमारे इसी वेबसाइट पे आपको कक्षा 12 के जीवविज्ञान के सलूशन, भौतिकी के सलूशन, गणित के सलूशन, रसायन विज्ञान के सलूशन, अंग्रेजी के सलूशन भी मिलेंगे. आप उन्हें भी ज़रूर देखे.
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