सम्पत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों से क्यों हटाया गया ?
उत्तर- भारतीय संविधान में 44वें संवैधानिक संशोधन द्वारा सम्पत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों के अध्याय से निकालकर केवल कानूनी अधिकार बनाया गया। सम्पत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों के अध्याय से निकालने अथवा हटाने का प्रमुख कारण उसका भूमि सुधार अधिनियमों के मार्ग में एक बड़ी रुकावट अथवा बाधा पैदा करना था। अतः भारत से जमींदारी प्रथा को उखाड़ फेंकने के लिए सम्पत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों के अध्याय से हटाना परमावश्यक था। सम्पत्ति का अधिकार समाजवाद की स्थापना के रास्ते में भी रोड़ा अटका रहा था। समाजवाद एवं राष्ट्रीयकरण की नीति को लागू करने के लिए सम्पत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों की सूची से हटा दिया गया।
Q. Why was the right to property removed from the fundamental rights?
Answer- By the 44th constitutional amendment in the Indian Constitution, the right to property was removed from the chapter of fundamental rights and made only a legal right. The main reason for removing or removing the right to property from the chapter of fundamental rights was that it created a major hindrance or obstacle in the path of land reform acts. Therefore, to uproot the Zamindari system from India, it was essential to remove the right to property from the chapter of fundamental rights. The right to property was also standing in the way of establishing socialism. To implement the policy of socialism and nationalization, the right to property was removed from the list of fundamental rights.
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