प्रश्न . नवीन संसदीय समिति प्रणाली को समझाइए।
नवीन संसदीय समिति प्रणाली
वर्तमान में हमारे देश की संसद अपना कार्य अनेक समितियों की सहायता से क्रियान्वित करती है। हालांकि भारत में समिति प्रणाली अत्यधिक प्राचीन है, लेकिन इसके बावजूद भी भारतीय संसद में स्थायी समिति का अभाव रहा। इसके अलावा समय अभाव की वजह से वित्तीय समितियाँ भी अपना कार्य उचित प्रकार नहीं कर पाती हैं। अनेक मन्त्रालयों एवं विभागों की अनुदान माँगों को तो बिना कोई परिचर्चा किए ही पारित किया जाता रहा है। अतः समितियों के विभिन्न दोषों को समाप्त करने हेतु 29 मार्च, 1993 को संसद ने विभिन्न मन्त्रालयों की बजट अनुदान माँगों, उसकी वार्षिक रिपोर्टों विधेयकों तथा सरकार की दीर्घकालीन नीतियों पर विचार करने के लिए नवीन समिति प्रणाली प्रारम्भ करने का प्रस्ताव पारित किया।
संख्या– 1 अप्रैल, 1993 को विभिन्न मन्त्रालयों, विभागों के क्रिया-कलाप तथा बजट माँगों पर विचार करने के लिए 17 संसदीय समितियाँ गठित की हैं। इन समितियों के नाम क्रमशः वाणिज्य समिति, गृह समिति, मानव संसाधन विकास समिति, उद्योग समिति, विज्ञान समिति, पर्यावरण समिति, परिवहन पर्यटन समिति, कृषि समिति, संचार समिति, रक्षा समिति, ऊर्जा समिति, विदेश मन्त्रालय समिति, वित्त समिति, खाद्य नागरिक आपूर्ति समिति, श्रम एवं कल्याण समिति, रेलवे समिति तथा शहरी एवं ग्रामीण विकास समिति हैं।
संगठन – प्रत्येक संसदीय समिति की सदस्य संख्या 45 है जिसमें लोक सभा से 30 तथा राज्य सभा से 15 सदस्य होते हैं। राजनीतिक दलों के सदस्यों की संख्या के आधार पर समितियों में उनको उचित प्रतिनिधित्व दिए जाने का प्रावधान किया गया है। समितियों के लिए जो नाम राजनीतिक दलों के नेतृत्वकर्त्ताओं द्वारा सुझाए जाते हैं, प्रायः उन्हें ही स्वीकार कर लिया जाता है। हालांकि समिति में यह सदस्य एक वर्ष की समयावधि हेतु रहते हैं लेकिन यदि सम्बन्धित राजनीतिक दल उनको पुनः उसी समिति के लिए मनोनीत करने को स्वतन्त्र है। समिति के अध्यक्ष की नियुक्ति लोक सभा के अध्यक्ष अर्थात स्पीकर द्वारा की जाती है।
कार्य- इन संसदीय समितियों का कार्यक्षेत्र अत्यन्त व्यापक है। बजट माँगों पर चर्चा, विधेयक का निरीक्षण, भारत की दीर्घकालीन नीतियों पर विचार विमर्श के अलावा समितियाँ अपने मन्त्रालय की वार्षिक रिपोर्ट पर भी चर्चा करती हैं। इन संसदीय समितियों को समय-समय पर सचिवालय सम्बन्धी आवश्यकताओं तथा बाह्य विशेषज्ञों की सहायता इत्यादि भी उपलब्ध कराई जाती है।
Q.- Explain the new parliamentary committee system.
new parliamentary committee system
At present the Parliament of our country executes its work with the help of many committees. Although the committee system in India is very ancient, yet there was a lack of standing committee in the Indian Parliament. Apart from this, due to lack of time, financial committees are also not able to do their work properly. The demands for grants of many ministries and departments have been passed without any discussion. Therefore, to eliminate the various defects of the committees, on March 29, 1993, the Parliament passed a proposal to introduce a new committee system to consider the budget grant demands of various ministries, their annual reports, bills and long-term policies of the government.
Number- On April 1, 1993, 17 parliamentary committees were constituted to consider the activities and budget demands of various ministries and departments. The names of these committees are Commerce Committee, Home Committee, Human Resource Development Committee, Industry Committee, Science Committee, Environment Committee, Transport Tourism Committee, Agriculture Committee, Communication Committee, Defense Committee, Energy Committee, Foreign Ministry Committee, Finance Committee, Food Citizen Committee respectively. There are Supply Committee, Labor and Welfare Committee, Railway Committee and Urban and Rural Development Committee.
Organization – The membership of each parliamentary committee is 45, of which 30 are from the Lok Sabha and 15 are from the Rajya Sabha. Based on the number of members of political parties, a provision has been made to give them proper representation in the committees. The names for committees which are suggested by the leaders of political parties are usually accepted. Although these members remain in the committee for a period of one year, but if the concerned political party is free to nominate them again for the same committee. The Chairman of the Committee is appointed by the Speaker of the Lok Sabha i.e.
Function- The scope of work of these parliamentary committees is very wide. Apart from discussing budget demands, inspection of bills, discussion on long-term policies of India, the committees also discuss the annual report of their ministry. From time to time, secretariat related needs and assistance of external experts etc. are also provided to these parliamentary committees.
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