कवि परिचय- सूर्यकांत त्रिपाठी ‘ निराला ‘ – Suryakant Tripathi ‘ Nirala ‘

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  सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी का जीवन परिचय निम्न बिंदुओं के आधार पर दीजिए
  1. प्रमुख रचनाएं,
  2. भाव पक्ष- कला पक्ष,
  3. साहित्य में स्थान,

    Ans-

कवि परिचय- सूर्यकांत त्रिपाठी ' निराला ' - Suryakant Tripathi ' Nirala '

                                                                            सूर्यकांत त्रिपाठी ‘ निराला ‘

 

रचनाएं-
                         गीतिका , अनामिका , तुलसीदास , कुकुरमुत्ता , वेल , नए पत्ते। 
भाव पक्ष –– 
                         सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की कविता की भाव भूमि बहुत व्यापक एवं बहुरंगी है। उनकी कविता में पौरूष का ओज है। निराला जी छायावाद के प्रमुख प्रवर्तक में से एक थे इसलिए छायावादी काव्य की समस्त विशेषताएं उनके काव्य की पूर्ण रूप में पाई जाती है। इनकी कविता में राष्ट्रीय भाव – धारा प्रवाहित है।

कला पक्ष-

इनकी भाषा परिष्कृत संस्कृत की तत्मस शब्दावली है। यह ओज, मधुर्य व प्रसाद गुरणों से अलंकृत है। इनकी शैली में विविधता लिए हैं।  प्रेम सौंदर्य में गीत शैली राष्ट्रीय भावनाओं में ओजपूर्ण शैली शोषित और पीडियो में संवेदना और सहानुभूति में व्यंग शैली का कुशलता से प्रयोग हुआ है।

साहित्य में स्थान-

छायावादी कवियों में निराला जी अपने अनूठे प्रयोग धार्मिकता के कारण अन्यतम स्थान के अधिकारी हैं।  वह युगांत कारी कवि एवं महामानव हैं।  निराला जी हिंदी साहित्य में एक प्रबल शक्ति व हिंदी साहित्य को वरदान साबित होंगे।

 

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