20 महत्वपूर्ण प्रश्न 11th History Ardhvarshik Paper 2023-24

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              [SET-A] MP Board 11th Social Science 20 महत्वपूर्ण प्रश्न Ardhvarshik Paper 2023-24 PDF : एमपी बोर्ड 11वीं इतिहास अर्द्धवार्षिक पेपर 2023 असली पेपर

              MP Board Class 11th Social Science 20 महत्वपूर्ण प्रश्न अर्द्धवार्षिक परीक्षा 2023 : मध्यप्रदेश द्वारा आयोजित अर्द्धवार्षिक परीक्षा का आगमन शुरू हो चूका है, और विद्यार्थी सब्जेक्ट वाइज ओरिजिनल पीडीऍफ़ की तलाश कर रहे है। तो जैसा की आप सबको पता होगा 11  दिसम्बर को इतिहास का पेपर संपन्न कराया जायेगा और सभी छात्र Class 11th Social Science 20 महत्वपूर्ण प्रश्न  की तलाश कर रहे है ।

20 महत्वपूर्ण प्रश्न 11th History Ardhvarshik Paper 2023-24
20 महत्वपूर्ण प्रश्न 11th History Ardhvarshik Paper 2023-24

तो MP Board Class 11th Social Science 20 महत्वपूर्ण प्रश्न half yearly paper 2023 की तलाश कर रहे छात्रों के लिए बड़ी अपडेट सामने आ रही है, आज के इस लेख में हम आप सबको MP Board Class 11th Social Science 20 महत्वपूर्ण प्रश्न half yearly paper 2023 Original pdf प्रोवाइड करने वाले है ताकि आप सब MP Board Class 11th Social Science 20 महत्वपूर्ण प्रश्न half yearly paper 2023 के माध्यम से अपनी तैयारी पूरी करके अर्द्धवार्षिक परीक्षा में उत्तीर्ण कर सके।

एमपी बोर्ड Class 11th Social Science 20 महत्वपूर्ण प्रश्न Ardhvarshik Paper 2023-24

MP Board Kaksha 12vi vishay Hindi 20 महत्वपूर्ण प्रश्न half yearly paper 2023-24: प्रिय छात्रों, आज हम आपके सामने MP Board Class 11th इतिहास Ardhvarshik Paper 2023-24 के बारे में जानकारी देने आए हैं। आज हम आपको 11th Social Science 20 महत्वपूर्ण प्रश्न Ardhvarshik Paper 2024 के संबंध में जानकारियां देंगे। यदि आप अर्द्धवार्षिक परीक्षा के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप इस पोस्ट को पूरा लास्ट तक जरूर पढ़ें।

MP Board Class 11th Social Science 20 महत्वपूर्ण प्रश्न Ardhvarshik Paper 2023-24 Real Paper

मेरे प्रिय छात्रों, जैसा की हम सभी को ज्ञात है कि MP Board Ardhvarshik exam Paper 2023 दिसम्बर महीने वर्ष 2023 में होंगे। यह टाइम टेबल माध्यमिक शिक्षा मंडल, भोपाल द्वारा जारी किया गया IMP Board Class 11th Social Science 20 महत्वपूर्ण प्रश्न Ardhvarshik Paper 2023 का Syllabus, Pdf & Notes आप सभी छात्रों को नीचे मिल जायेगा।

Overview – MP Board class 11th Social Science 20 महत्वपूर्ण प्रश्न Ardhvarshik Paper 2023-24

Board   Madhya Pradesh Board of Secondary Education (MPBSE)
Class   11th
Exam   Mp Board Half yearly Exam 2023-24
MP Half Yearly Exam Date   December 2023
Time Table   06.12.2023 to 15.12.2023
Official Website mpbse.nic.in

 

एमपी बोर्ड कक्षा 11वीं इतिहास अर्द्धवार्षिक परीक्षा 2023-24

प्यारे विद्यार्थियों आज इस आर्टिकल Hindi 20 महत्वपूर्ण प्रश्न Class 11th Ardhvarshik Paper 2023-2024 MP Board के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि आपको अपने MP Board Class 11th इतिहास Ardhvarshik Paper 2023-2024 के अंतर्गत कुल कितने पाठ याद करने पड़ेंगे। अर्थात कुल कितना सिलेबस पूछा जाएगा, परीक्षा का पैटर्न कैसा रहेगा, इत्यादि जानकारियां आज आप यहां से लेने वाले हैं। हम आपसे पुनः कहेंगे की संपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए आपको हमारे साथ अंत तक जुड़े रहना पड़ेगा।

All Subject PDF Download Class 11th Half Yearly Exam 2023-24

11वीं इतिहास के बाद नीचे दिये गये लिंक और अन्य विषय का भी pdf डाउनलोड कर सकते है।

कक्षा 11वीं इतिहास अर्द्धवार्षिक परीक्षा 2023-24 असली पेपर

इस पोस्ट में हम MP Board Class 11th Social Science 20 महत्वपूर्ण प्रश्न Ardhvarshik Pariksha 2023-24 प्रोवाइड कराने वाले है ताकि आप सब MP Board kaksha 12vi Hindi 20 महत्वपूर्ण प्रश्न Ardhvarshik pariksha 2023 के माध्यम से अपनी तैयारी कर अपने परीक्षा में बहुत अच्छे नंबर ला सकते है। MP Board Class 12 Hindi 20 महत्वपूर्ण प्रश्न half yearly paper 2023 दिसम्बर में होने जा रहा है।

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20 महत्वपूर्ण प्रश्न 11th Social Sciences Ardhvarshik Paper

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प्रश्न 1. मेसोपोटामिया सभ्यता की विश्व को क्या देन रही?

उत्तर- समय, कालगति, पंचांग, सूर्योदय तथा सूर्यास्त, वर्ष आदि की गणना इस सभ्यता की वैज्ञानिक प्रगति के प्रतीक

हैं। वर्तमान समय में गणित, ज्योतिष, विज्ञान एवं खगोलशास्त्रीय पद्धतियाँ इसी पर आधारित हैं। इस विवेचन से स्पष्ट हैं कि मेसोपोटामिया सभ्यता ने विश्व की सभ्यताओं के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया हैं।

प्रश्न 2. उरूक नगर का वर्णन सांक्षिप्त में कीजिए। **

उत्तर– उरूक नगर का वर्णन निम्नलिखित है-

(i) पुरातात्विक साक्ष्यों से ज्ञात होता हैं कि 3000 ई. पू. में यह नगर 250 हैक्टेयर के भू-क्षेत्र में फैला था।

(ii) उरूक नगर, मेसोपोटामिया के सबसे पुराने मन्दिर – नगरों में से एक था।

(iii) उरूक नगर का यह विस्तार भारत में शताब्दियों बाद विकसित हुए मोहनजोदड़ों नगर से दोगुना था।

(iv) 2800 ई. पू, में यह नगर 400 हेक्टेयर के भू-क्षेत्र में विस्तृत हो गया था।

(v) यह नगर 4200 ई. पू. से 400 ई. तक बराबर अपने अस्तित्व में बना रहा।

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प्रश्न 3. कौंसल किसे कहते थे? विधि संहिता कैसे तैयार की गई थी?

उत्तर-कौंसल, वे दो अधिकारी कहलाते थे, जो शासन संचालन का कार्य करते थे। इनकी नियुक्ति चुनाव के माध्यम से असेम्बली द्वारा की जाती थी। इनका कार्यकाल एक वर्ष का होता था। इन दोनों के अधिकार समान होते थे और वे देश के सर्वोच्च सेनापति भी होते थे।

गणतन्त्रकालीन रोम में 454 ई. में एक ‘विधि संहिता’ तैयार

की गई थी। इस विधि संहिता को लकड़ी की तख्तियों पर लिखा गया था जिन्हें ‘बारह तख्तियों के कानून’ कहा जाता था। इस कानूनी संहिता में सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि इसमें उच्च वर्ग के लिए समान न्यायिक व्यवस्था पर बल दिया गया था।

प्रश्न 4. पवित्र रोम साम्राज्य की स्थापना किस प्रकार हुई? ★★★

अथवा

ऑगस्टस के शासन का वर्णन कीजिए।

उत्तर- गृह-युद्ध (उत्तराधिकार के युद्ध) के उपरान्त 27 ई. पू. में जूलियस सीजर के भतीजे ऑक्टेवियन ने रोम में अपना शासन स्थापित किया। सीनेट ने उसे ‘ऑगस्टस’ की उपाधि से अलंकृत किया, जिसका अर्थ था ‘सौभाग्यशाली’। इतिहास में वह ऑगस्टम के नाम से विख्यात है। ऑगस्टस ने रोम साम्राज्य पर 27 ई. पू. से 14 ई. तक शासन किया। ऑगस्टस ने 27 ई. पू. में जिस राज्य की स्थापना की थी, उसे ‘प्रिंसिपेट’ कहा जाता था। यद्यपि ऑगस्टस रोम का एकछत्र शासक और सम्पूर्ण सत्ता का वास्तविक स्रोत था, लेकिन फिर भी उसने इस तथ्य को जीवित रखा कि वह राज्य का केवल एक ‘प्रमुख नागरिक’ (लैटिन भाषा में ‘प्रिंसेप्स’ है), न कि एक निरंकुश शासक। ऑगस्टस ने अपने शासनकाल के दौरान अनेक सुधार कार्य करके रोम में शान्तिपूर्ण शासन की स्थापना की, इसी कारण उसके शासन काल को “पैक्स रोमाना” (रोम की शान्ति) कहा जाता है।

प्रश्न 5. यायावरी समाज क्या हैं? ये कहाँ के निवासी थे?

उत्तर- मंगोल लोग यायावरी समाज से सम्बन्धित थे, ये लोग मध्य एशिया के स्टेपी क्षेत्र के निवासी थे। स्टेपी निवासी यायावर समाज के लोगों में सामान्यत; अपना कोई साहित्य रचने की परम्परा नहीं थी। अतः हमें इन यायावरी समाजों के विषय में जानकारी मुख्य रूप से इतिवृत्तों, यात्रा-वृतान्तों एवं नगरीय साहित्यकारों के दस्तावेजों से प्राप्त होती हैं।

प्रश्न 6. पुनर्जागरण सर्वप्रथम इटली में क्यों हुआ?**

उत्तरी – इटली में ऐसे अनेक कारक तत्व उपस्थित थे, जिनके कारण इटली में सर्वप्रथम पुनर्जागरण प्रारम्भ हुआ; जिनका वर्णन निम्नांकित हैं- (1) इटली के नगर शिआ व संस्कृति के केन्द्र, (2) इटली के स्वतंत्र नगर, (3) शासकों का संरक्षण, (5) महान लेखकों व कलाकारों का योगदान।

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प्रश्न 7. धर्म सुधार आंदोलन के परिणामा या प्रभाव को लिखिए-

उत्तर- धर्म सुधार आंदोलन के प्रमुख परिणाम या प्रभाव निम्नांकित थे- (1) प्रोटेस्टेण्ट धर्म का जन्म, (2) राजा की शक्ति में वृद्धि, (3) समाज पर प्रभाव, (4) आर्थिक सुधार, (5) शिआ पर प्रभाव, (6) चर्च में व्याप्त बुराइयों का अन्त।

प्रश्न 8. पुनर्जागरण के प्रमुख प्रभावों पर प्रकाश डालिए।

उत्तर- पुनर्जागरण के परिणाम या प्रभाव निम्न थे-

(1) धर्म सुधार आन्दोलन का सूत्रपात,

(2) मानवतावादी दृष्टिकोण का विकास,

(3) बौद्धिक क्रांति का सूत्रपात,

(4) शिक्षा और साहित्य का विकास,

(5) इतिहास पर प्रभाव,

(6) सामाजिक जीवन में प्रगति,

(7) राष्ट्रीयता की भावना का विकास,

(8) व्यापारिक क्रांति का सूत्रपात,

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(9) विज्ञान का विकास,

 

प्रश्न 9. धर्म सुधार आन्दोलन के परिणामों या प्रभावों की विवेचना कीजिए? ***

 

उत्तर- 1. राजा की शक्ति में वृद्धि धर्म सुधार आन्दोलन से पूर्व राजा की शक्ति पर पोप व चर्च का नियन्त्रण था। लेकिन धर्म सुधार आन्दोलन के परिणामस्वरूप चर्च की शक्ति कमजोर हुई और वह राज्य के अधीन हो गया। इससे राजा की शक्ति, पद तथा प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई। राज्य से पोप का नियन्त्रण हट गया।

  1. समाज पर प्रभाव- धर्म सुधार आन्दोलन के कारण सामाजिक वर्गों के सन्तुलन में परिवर्तन आया। चर्च के धर्माधिकारियों का प्रभाव कम हुआ और जनसाधारण का महत्व बढ़ा। मठों की समाप्ति के कारण गरीब असहाय हो गए, क्योंकि इन मठों से गरीबों को मुफ्त भोजन और शिक्षा दी जाती थी।
  2. प्रोटेस्टेण्ट धर्म का जन्म-धर्म सुधार आन्दोलन से पूर्व यूरोप के विभिन्न देशों में केवल एक कैथोलिक धर्म था। लेकिन धर्म आन्दोलन के बाद यूरोप में प्रोटेस्टेण्ट धर्म का जन्म हुआ, यूरोप कैथोलिक तथा प्रोटेस्टेण्ट दो वर्गों में विभाजित हो गया।
  3. आर्थिक सुधार-धर्म सुधार आन्दोलन के पारिणामस्वरूप मठों की समाप्ति के कारण उनकी अपार सम्पत्ति पर राज्य का अधिकार हो गया। राज्य ने चर्च से प्राप्त अपार सम्पत्ति का प्रयोग देश के विकास में किया और देश की समृद्धि में योगदान दिया।

 

प्रश्न 10. कालोनी (उपनिवेश) किसे कहा जाता था?

उत्तर- किसी समृद्धशाली व शक्तिशाली राष्ट्र द्वारा अपने कई हितो चाहे व्यापारिक या आर्थिक को प्राप्त करने के लिए किसी निर्बल राष्ट्र जो प्राकृतिक संसाधनों से सम्पन्न हो उस राष्ट्र का व विभिन्न संसाधनों से संपन्न हो उस राष्ट्र का व विभिन्न संसाधनों का शान्ति के बल पर उपभोग करना। वह निर्बल देश इस शक्तिशाली देश का उपनिवेश हो जाता है। उपनिवेशों की जनता एक विदेशी शासन द्वारा शाषित होती है। उसे कोई राजनीतिक अधिकार प्राप्त नहीं होता है।

आर्गन्सकी के अनुसार “वे सभी क्षेत्र उपनिवेशों के तहत् आते है जो विदेशी सत्ता द्वारा शासित है एवं जिनके निवासियों को पूरे राजनीतिक अधिकार प्राप्त नहीं है।”

हम किसी शक्तिशाली राष्ट्र द्वारा निर्बल राष्ट्र के शोषण को उपनिवेशवाद कह सकते है।

प्रश्न 11. साम्राज्यवाद की प्रमुख विशेषताओं को लिखिए।

उत्तर- साम्राज्यवाद की प्रमुख विशेषताएँ निम्न है-

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(1) साम्राज्यवादी देश अपने उपनिवेशों के आर्थिक संसाधनों का अपने हिंतों के लिए शोषण करते है, वे अपने उपनिवेशों की अर्थव्यवस्था को अपने अनुकूल ढाल लेते है।

(2) साम्राज्यवादी देश अपने उपनिवेशों के मूल निवासियों के प्रति जातीय भेदभाव की नीति अपनाते है, जिससे वे मौलिक अधिकारों से वंचित रह जाते है।

(3) साम्राज्यवादी देश सीमापार के देशों पर अपना आर्थिक एवं राजनीतिक नियंत्रण स्थापित करते है।

(4) साम्राज्यवादी देश द्वारा अपने उपनिवेशों की जनता को असभ्य माना जाता है एवं उनके साथ भेदभाव किया जाता है।

(5) साम्राज्यवादी देश अपने उपनिवेशों में अतिरिक्त पूँजी का निवेश करके अधिक-से-अधिक लाभ प्राप्त कर उपनिवेशों के व्यापार पर अपना अधिकार कर लेते है।

प्रश्न 12. ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासियों का वर्णन कीजिए।

उत्तर- ऑस्ट्रेलिया में भी मानव-निवास का इतिहास लम्बा है। शुरूआती मनुष्य या आदिमानव जिन्हें “ऐबॉरिजिनीज” कहते है, ऑस्ट्रेलिया में 40,000 साल पहले आने शुरू हुए (संभवतः उससे भी पहले से) वे ऑस्ट्रेलिया के साथ एक भू- सेतु से जुड़े न्यूगिनरी से आये थे। मूल निवासियों की अपनी परम्पराओं के हिसाब से वे ऑस्ट्रेलिया आए नहीं थे, बल्कि हमेशा से यही थे।

ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासी 18 वीं शताब्दी के अंतिम समयों में ऑस्ट्रेलिया में मूल निवासियों के समुदाय 350 से 750 के बीच थे। हर समुदाय की अपनी भाषा थी (इनमें से 200 भाषाएँ आज भी बोली जाती है) देशी लोगों का एक और विशाल समूह उत्तर में रहता है, इसे टारस स्ट्रेट आइलैंडर्स कहते है। “ऐबॉरिजिनी” शब्द इनके लिए इस्तेमाल नहीं होता, क्योंकि यह माना जाता है कि वे कहीं और से आये है और एक अलग-अलग नस्ल के है। कुछ मिलाकर वे ऑस्ट्रेलिया की वर्तमान जनसंख्या का 2.4 प्रतिशत हिस्सा है। ऑस्ट्रेलिया की जनसंख्या बहुत छितरायी हुई है और आज भी वहाँ के ज्यादातर शहर समुद्र तट के साथ-साथ बसे है। जहाँ 1770 ई. में ब्रिटिश लोग पहली बार पहुँचे थे, क्योंकि बीच का इलाका शुष्क मरूभूमि है।

प्रश्न 13. मेसोपोटामिया सभ्यता की खोज का संक्षिप्त में वर्णन कीजिए। ★★★

उत्तर- 19वीं सदी के पूर्व तक मेसोपोटामिया की सभ्यता का ज्ञान विश्व को नहीं था। 19वीं सदी के प्रारंभ में सर लियोनार्ड वूली ने ईराक के प्राचीन नगर ‘उर’ (Ur) की खुदाई में अनेक भवनों के खण्डहर, मिट्टी की प्लेटें, कलात्मक वस्तुओं के भण्डार और राजकीय समाधियों के अवशेष प्राप्त किये। इन्हें देखकर पुरातत्वविदों ने बाबुल (बेबीलोन) निनेवें, निप्पुर तथा लगाश आदि प्राचीन नगरों में खुदाई करवाई। इसके बाद 1850 ई. में अंग्रेज अन्वेषक रालिन्सन ने ईराक में बिहिस्तून के निकट एक ऊँचे पर्वत पर प्राचीन ईरानी सम्राट डेरियस (पारा प्रथम) द्वारा लिखवाया गया एक शिलालेख खोज निकाला। यह शिलालेख फारसी एवं बेबीलोनियन भाषाओं में लिखा हुआ था, इस लेख को रॉलिन्सन ने पढ़कर विश्व के समक्ष इस प्राचीन सभ्यता का रहस्य खोल दिया। दूसरा शिलालेख 1901 ई. में ईराक के प्राचीन नगर मूसा में प्राप्त हुआ। यह शिलालेख काले पत्थर का बना था और उस पर बेबीलोनियन भाषा में एक कानून संहिता अंकित थी। इन शिलालेखों के फलस्वरूप प्राचीन मेसोपोटामिया की मानव सभ्यता प्रकाश में आयी।

 

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