[SET-A] MP Board 12th Chemistry 20 महत्वपूर्ण प्रश्न Ardhvarshik Paper 2023-24 PDF : एमपी बोर्ड 12वीं रसायन शास्त्र अर्द्धवार्षिक पेपर 2023 असली पेपर
MP Board Class 12th Chemistry 20 महत्वपूर्ण प्रश्न अर्द्धवार्षिक परीक्षा 2023 : मध्यप्रदेश द्वारा आयोजित अर्द्धवार्षिक परीक्षा का आगमन शुरू हो चूका है, और विद्यार्थी सब्जेक्ट वाइज ओरिजिनल पीडीऍफ़ की तलाश कर रहे है। तो जैसा की आप सबको पता होगा 7 दिसम्बर को रसायन शास्त्र का पेपर संपन्न कराया जायेगा और सभी छात्र Class 12th Chemistry 20 महत्वपूर्ण प्रश्न की तलाश कर रहे है ।
तो MP Board Class 12th Chemistry 20 महत्वपूर्ण प्रश्न half yearly paper 2023 की तलाश कर रहे छात्रों के लिए बड़ी अपडेट सामने आ रही है, आज के इस लेख में हम आप सबको MP Board Class 12th Chemistry 20 महत्वपूर्ण प्रश्न half yearly paper 2023 Original pdf प्रोवाइड करने वाले है ताकि आप सब MP Board Class 12th Chemistry 20 महत्वपूर्ण प्रश्न half yearly paper 2023 के माध्यम से अपनी तैयारी पूरी करके अर्द्धवार्षिक परीक्षा में उत्तीर्ण कर सके।
एमपी बोर्ड Class 12th Chemistry 20 महत्वपूर्ण प्रश्न Ardhvarshik Paper 2023-24
MP Board Kaksha 12vi vishay Chemistry 20 महत्वपूर्ण प्रश्न half yearly paper 2023-24: प्रिय छात्रों, आज हम आपके सामने MP Board Class 12th रसायन शास्त्र Ardhvarshik Paper 2023-24 के बारे में जानकारी देने आए हैं। आज हम आपको 12th Chemistry 20 महत्वपूर्ण प्रश्न Ardhvarshik Paper 2024 के संबंध में जानकारियां देंगे। यदि आप अर्द्धवार्षिक परीक्षा के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप इस पोस्ट को पूरा लास्ट तक जरूर पढ़ें।
MP Board Class 12th Chemistry Ardhvarshik Paper 2023-24 Real Paper
मेरे प्रिय छात्रों, जैसा की हम सभी को ज्ञात है कि MP Board Ardhvarshik exam Paper 2023 दिसम्बर महीने वर्ष 2023 में होंगे। यह टाइम टेबल माध्यमिक शिक्षा मंडल, भोपाल द्वारा जारी किया गया IMP Board Class 12th Chemistry 20 महत्वपूर्ण प्रश्न Ardhvarshik Paper 2023 का Syllabus, Pdf & Notes आप सभी छात्रों को नीचे मिल जायेगा।
Overview – MP Board class 12th Chemistry 20 महत्वपूर्ण प्रश्न Ardhvarshik Paper 2023-24
Board | Madhya Pradesh Board of Secondary Education (MPBSE) |
Class | 12th |
Exam | Mp Board Half yearly Exam 2023-24 |
MP Half Yearly Exam Date | December 2023 |
Time Table | 06.12.2023 to 15.12.2023 |
Official Website | mpbse.nic.in |
एमपी बोर्ड कक्षा 12वीं रसायन शास्त्र अर्द्धवार्षिक परीक्षा 2023-24
प्यारे विद्यार्थियों आज इस आर्टिकल Chemistry 20 महत्वपूर्ण प्रश्न Class 12th Ardhvarshik Paper 2023-2024 MP Board के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि आपको अपने MP Board Class 12th रसायन शास्त्र Ardhvarshik Paper 2023-2024 के अंतर्गत कुल कितने पाठ याद करने पड़ेंगे। अर्थात कुल कितना सिलेबस पूछा जाएगा, परीक्षा का पैटर्न कैसा रहेगा, इत्यादि जानकारियां आज आप यहां से लेने वाले हैं। हम आपसे पुनः कहेंगे की संपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए आपको हमारे साथ अंत तक जुड़े रहना पड़ेगा।
All Subject PDF Download Class 12th Half Yearly Exam 2023-24
12वीं रसायन शास्त्र के बाद नीचे दिये गये लिंक और अन्य विषय का भी pdf डाउनलोड कर सकते है।
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कक्षा 12वीं रसायन शास्त्र अर्द्धवार्षिक परीक्षा 2023-24 असली पेपर
इस पोस्ट में हम MP Board Class 12th Chemistry 20 महत्वपूर्ण प्रश्न Ardhvarshik Pariksha 2023-24 प्रोवाइड कराने वाले है ताकि आप सब MP Board kaksha 12vi Chemistry 20 महत्वपूर्ण प्रश्न Ardhvarshik pariksha 2023 के माध्यम से अपनी तैयारी कर अपने परीक्षा में बहुत अच्छे नंबर ला सकते है। MP Board Class 12 Chemistry 20 महत्वपूर्ण प्रश्न half yearly paper 2023 दिसम्बर में होने जा रहा है।
Class 12 Chemistry 20 महत्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न 1. अणुसंख्य गुणधर्म को उदाहरण सहित समझाइए ।
उत्तर– विलयन के ऐसे गुण, जो उसके निशिचत आयतन में उपस्थित विलेय के कणों (अणुओं या आयन) की संख्या पर क निर्भर करते हैं, अणुसंख्यक गुण (Colligative Properties) कहलाते हैं। ये गुण विलेय की प्रकृति, संघटन या संरचना पर म निर्भर नहीं होते हैं। उदाहरण- (1) विलयन का परासरण दाब, वि (2) वाष्प दाब में आपेक्षिक अवनमन, (3) हिमांक में अवनमन, वि (4) क्वथनांक में उन्नयन ।
प्रश्न 2. परासरण एवं परासरण दाब को परिभाषित य कीजिए।
उत्तर – परासरण – वह प्रक्रिया, जिसमें विलायक के कण कम सान्द्रता से अधिक सान्द्रता की तरफ आर्द्ध पारगम्य झिल्ली से होकर स्वतः गति करते हैं, उसे परासरण कहते हैं।
परासरण दाब – वह अधिकतम दाब, जो एक आर्द्ध पारगम्य – झिल्ली द्वारा विलयन घोल को उसके शुद्ध विलायक से पृथक् करने पर विलयन में उत्पन्न होता है, परासरण दाब कहलाता है।
प्रश्न 3. क्या कारण है कि तापक्रम में वृद्धि से गैसें द्रव में है कम विलेय होती है?
उत्तर- अधिकतर गैसों की ताप में वृद्धि में द्रव में विलेयता उ घटती है, क्योंकि घुलना एक ऊष्माक्षेपी प्रक्रम है। गर्म करने व घुली हुई गैसें विलयन से बाहर निकलती हैं।
प्रश्न 4. अणुसंख्यक गुण से क्या समझते हैं? कोई चार – उदाहरण दीजिए ।
उत्तर- विलयन के ऐसे गुण, जो उसके निश्चित आयतन में उपस्थित विलेय के कणों (अणुओं या आयन) की संख्या पर निर्भर करते हैं, अणुसंख्यक गुण (Colligativce Properties) कहलाते हैं। ये गुण विलेय की प्रकृति, संघटन या संरचना पर निर्भर नहीं होते हैं।
उदाहरण- (1) विलयन का परासरण दाब, (2) वाष्प दाब में आपेक्षिक अवनमन, (3) हिमांक में अवनमन, (4) क्वथनांक में उन्नयन ।
प्रश्न 5. हिमांक में अवनमन क्या है ?
उत्तर- किसी विलायक में अवाष्पशील विलेय पदार्थ मिलाने पर प्राप्त विलयन का वाष्प दाब शुद्ध विलायक के वाष्प दाब से कम होता है, जिसके कारण हिमांक ताप में कमी आ जाती है। अर्थात् वाष्प दाब अवनमन के कारण विलयन का हिमांक शुद्ध विलायक के हिमांक से कम हो जाता है। इस प्रकार विलायक और विलयन के हिमांकों का अन्तर हिमांक का अवनमन (AT) कहलाता है।
प्रश्न 6. क्वथनांक के उन्नयन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- “किसी द्भव का क्वथनांक वह ताप है, जिस पर उसके वाष्प दाब का मान वायुमण्डलीय दाब के बराबर हो जाता है।” हमें यह भी ज्ञात है कि किसी विलयन का वाष्प-दाब शुद्ध विलायक के वाष्प-दाब से कम होता है।
अतः वह ताप जिस पर किसी विलयन का वाष्प दाब वायुमण्डलीय दाब के बराबर हो जाता है। (अर्थात् विलयन का क्वथनांक) उस ताप से अधिक होगा, जिस पर शुद्ध विलायक का वाष्प दाब वायुमण्डलीय दाब के बराबर हो जाता है (अर्थात् शुद्ध विलायक का क्वथनांक) । कहने का तात्पर्य यह है कि शुद्ध विलायक में कोई विलेय मिला देने पर उसका क्वथनांक बढ़ जाता है।
T का मान के मान से अधिक है, अतः विलयन का क्वथनांक विलायक के क्वथनांक से अधिक है। दूसरे शब्दों में, शुद्ध विलायक की अपेक्षा विलयन उच्च ताप पर उबलता है। अतः विलेय को विलायक में घोलने से उसके क्वथनांक में होने वाली वृद्धि को क्वथनांक का उन्नयन (elevation of boiling point) कहते हैं। इसे AI से प्रदर्शित करते हैं, अतः
प्रश्न 7. निम्नलिखित को समझाइए-
(i) सामान्यता (ii) मोलरिटी (2020)
(iii) पीपीएम (iv) मोललता (v) हेनरी का नियम।
उत्तर- (i) नॉर्मलता (Normality)- “किसी विलयन की नार्मलता उसके एक लीटर विलयन में उपस्थित विलेय के ग्राम तुल्यांकों की संख्या है।” इसे N द्वारा दर्शाते हैं। यदि किसी विलयन के एक लीटर में विलेय पदार्थ का एक ग्राम-तुल्यांक विलेय हो तो उस विलयन की नार्मलता 1 N होगी। उसी प्रकार यदि किसी विलयन के 1 लीटर में 0.5 ग्राम तुल्यांक विलेय पदार्थ य विलेय हो, तो उसकी नार्मलता 0.5 N होगी।
नार्मलता (N) = ग्राम प्रति लीटर विलयन में विलेय का द्रव्यमान
विलेय का ग्राम समतुल्य द्रव्यमान
यदि WB ग्राम विलेय जिसका तुल्यांकी भार Eg हो, V ml विलयन उ में उपस्थित हो, तो विलेय की नार्मलता-
एन = डब्ल्यूबी × 1000 ईबी एक्स वी
(ii) मोलरता (Molarity) – “किसी विलयन की मोलरता उसके उ एक लीटर में घुले (विलीन हुए (dissolved)] विलेय पदार्थ अ (solute) के मोलों की संख्या है।” इसे M द्वारा दर्शाते हैं।
मोलरता (M) = विलेय के ग्राम अणुओं (या मोलों) की संख्या विलयन का लीटर में आयतन विलेय का द्रव्यमान
विलेय का आण्विक द्रव्यमान x विलयन का लीटर में आयतन
नमोलरता (M) = ग्राम प्रति लीटर विलयन में विलेय का द्रव्यमान विलेय का ग्राम आण्विक द्रव्यमान
(iii) पार्ट्स प्रति मिलियन (Parts Per million) या ppm – यह न इकाई तब उपयोग में लायी जाती है, जब विलयन में विलेय का नि सान्द्रण बहुत कम हो । अंश या भाग (Parts) आयतन अथवा द्रव्यमान के रूप में हो सकते हैं। उदाहरणार्थ- यदि 1 kg समुद्री जल में विलेय ऑक्सीजन का द्रव्यमान 5.8 x 10-3 ग्राम हो, तो उसे इस प्रकार दर्शाया जायेगा कि 106 ग्राम (या एक मिलियन । ग्राम) समुद्री जल में 5.8 ग्राम ऑक्सीजन है। अतः समुद्री जल में ऑक्सीजन का सान्द्रण 5.8 ppm है।
ppm = घटक A का द्रव्यमान × 106
विलयन का कुल द्रव्यमान
- v) हेनरी का नियम (Henry’s Law)-“स्थिर ताप पर किसी विलायक के निश्चित आयतन में विलेय गैस का द्रव्यमान गैस के दाब के समानुपाती होता है, जिसके साथ वह विलायक साम्यावस्था में है।”
यदि विलायक के इकाई आयतन में विलेय गैस साम्य दाब हो, तो m=kp का द्रव्यमान
प्रश्न 8. स्थिरक्वाथी मिश्रण से क्या समझते हो ? एक उदाहरण दीजिए ।
उत्तर- वह विलयन जो बिना संघटन में परिवर्तन के एक ही ताप पर आसवित होता है, स्थिरक्वाथी विलयन कहलाता है। ऐसे विलयनों को प्रभाजी आसवन विधि द्वारा पृथक् नहीं किया जा सकता ।
उदाहरण- (1) ऐसीटोन 34% और कार्बन डाइसल्फाइड 66% से बने विलयन का क्वथनांक 33°C होता है।
(2) ऐसीटोन 32% + क्लोरोफार्म 68% ।
प्रश्न 9. प्रबल विद्युत अपघट्य तथा दुर्बल विद्युत अपघट्य क्या हैं? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर- सभी विद्युत अपघट्य अपने विलयन में समान रूप से । आयनित नहीं होते। इसके आधार पर विद्युत-अपघट्य दो प्रकार के होते हैं- (1) प्रबल विद्युत अपघट्य, (2) दुर्बल विद्युत-अपघट्य ।
- प्रबल विद्युत अपघट्य- वे विद्युत अपघट्य जो जलीय नि विलयन में लगभग पूर्णतः आयनित हो जाते हैं, प्रबल विद्युत अपघट्य कहलाते हैं।
उदाहरण – NaCl, KCl, HCl, NaOH आदि ।
- दुर्बल विद्युत अपघट्य- वे विद्युत अपघट्य जिनका जलीय विलयन में बहुत कम आयनन होता है तथा अत्यधिक तनु करने पर भी पूर्ण आयनन नहीं होता, दुर्बल विद्युत अपघट्य कहलाते हैं।
उदाहरण – CH3COOH, H2CO3, H3BO3 आदि
प्रश्न 10. विशिष्ट चालकता, तुल्यांकी चालकता और मोलर क चालकता पर तनुता का क्या प्रभाव पड़ता है ? ★★★
उत्तर – विशिष्ट चालकता पर तनुता का प्रभाव – तनुता बढ़ाने से विशिष्ट चालकता कम हो जाती है, क्योंकि आयनों की संख्या में वृद्धि की तुलना में तनुता बहुत अधिक बढ़ती है, जिससे एक घन सेमी. में उपस्थित आयनों की संख्या कम हो जाती है। अतः विशिष्ट चालकता कम हो जाती है।
तुल्यांकी एवं मोलर चालकता पर तनुता का प्रभाव- तुल्यांकी एवं मोलर चालकता विशिष्ट चालकता (K) व तनुता (V) का गुणनफल होती है ।
^ = K x V
म तनुता बढ़ाने से विशिष्ट चालकता घटती है, किन्तु आयतन बढ़ता है। आयतन में वृद्धि विशिष्ट चालकता में कमी की अपेक्षा काफी अधिक होती है। अतः तनुता बढ़ाने से मोलर व तुल्यांकी चालकता बढ़ती है।
प्रश्न 11. रासायनिक अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले चार कारक लिखिए।
उत्तर- रासायनिक अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले कारक निम्न है-
- अभिकारक का सांद्रण-अभिकारक का सांद्रण बढ़ाने से अभिक्रिया की दर बढ़ जाती है।
- अभिक्रिया का ताप- सामान्य अभिक्रियाओं में ताप बढ़ाने से अभिक्रिया की दर में वृद्धि हो जाती है, क्योंकि ताप बढ़ाने से अणुओं की गतिज ऊर्जा का मान बढ़ जाता है। प्रति 10°C ताप में वृद्धि से अभिक्रिया की दर दुगुनी हो जाती है।
- उत्प्रेरक की उपस्थिति-उत्प्रेरक की उपस्थिति से अभिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा का मान कम हो जाता है, अतः अभिक्रिया की दर परिवर्तित हो जाती है। धनात्मक उत्प्रेरक अभिक्रिया की दर को बढ़ा देते हैं, जबकि ऋणात्मक उत्प्रेरक अभिक्रिया की दर को कम कर देते हैं।
- अभिकारक की प्रकृति- यदि अभिक्रिया में अभिकारकों के पुराने बन्ध टूटते हैं और नये बन्ध बनते हैं, तब अभिक्रिया का वेग मन्द होता है, किन्तु अभिकारक अणु जितने सरल होते हैं, उनमें उतने ही कम बन्ध टूटते हैं। अतः अभिक्रिया की दर उतनी ही तीव्र होती है।
प्रश्न 12. शून्य कोटि की अभिक्रिया क्या है ? एक उदाहरण : दीजिए।
उत्तर- यदि किसी अभिक्रिया का वेग अभिकारकों की सांद्रता पर निर्भर नहीं होता है, तो अभिक्रिया शून्य कोटि की अभिक्रिया कहलाती है।
शून्य कोटि की अभिक्रिया में क्रिया कारकों का सान्द्रण समय के साथ परिवर्तित नहीं होता है।
उदाहरण – मोलिब्डीनम उत्प्रेरण के पृष्ठ पर अमोनिया का अपघटन शून्य कोटि की अभिक्रिया है।
प्रश्न 13. लैन्थेनाइड संकुचन से आप क्या समझते हैं ? हैं। इसका परिणाम या महत्व बताइए । इसके क्या कारण हैं ?
उत्तर – लैन्थेनाइड्स तत्वों के परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ-साथ, उनकी परमाणु त्रिज्या एवं आयनिक त्रिज्या छोटी होती जाती है अर्थात् संकुचित होती जाती है। इस गुण को लैन्थेनाइड संकुचन कहते हैं।
कारण – लैन्थेनाइड्स तत्वों के परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ- व्यम साथ नया आने वाला इलेक्ट्रॉन बाह्यतम कक्ष में प्रवेश करने के ता बजाय 4f उपकोश [(n-2)f] में प्रवेश करता है, 4f इलेक्ट्रॉन का परिरक्षण प्रभाव बहुत ही कम होता है। परमाणु के नाभिक पर इते आवेश बढ़ने के कारण इलेक्ट्रॉन नाभिक की ओर अधिक त्व आकर्षित हो जाते हैं, जिससे परमाणु का आयन संकुचित हो जाता है।
वे लैन्थेनाइड संकुचन के परिणाम –
- तत्वों का पृथक्करण- लैन्थेनाइड संकुचन के कारण इन
तत्वों के रासायनिक गुणों में अत्यधिक समानता होती है, अतः इन्हें शुद्ध अवस्था में अलग-अलग प्राप्त करना कठिन होता है।
- तत्वों के गुणों में समानता- द्वितीय श्रेणी के तत्वों की परमाणु त्रिज्या तथा तृतीय श्रेणी के संक्रमण तत्वों की परमाणु त्रिज्या है लगभग समान होती है। इस कारण Ti और Zx के गुणों में भिन्नता है, जबकि Zr और Hf के गुणों में समानता है।
- सहसंयोजक लक्षण – लैन्थेनाइड्स संकुचन के कारण M3- आयन का आकार कम होता है। M-OH में सहसंयोजक लक्षण बढ़ता है।
प्रश्न 14. लैन्थेनाइडों व ऐक्टिनाइडों की तुलना कीजिए। नि
उत्तर- लैन्थेनाइड तथा ऐक्टीनाइड की तुलना-
लैन्थेनाइड
- लैन्थेनाइड प्रमुख रूप से +3 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते हैं, किन्तु कुछ यौगिकों में +2, +4 ऑक्सीकरण अवस्थायें भी प्रदर्शित करते हैं।
- इन तत्वों में संकुल यौगिक बनाने की प्रवृत्ति कम होती है।
- लैन्थेनाइड यौगिक प्रायः कम क्षारीय होते हैं।
- ये तत्व ऑक्सो आयन का निर्माण नहीं करते हैं।
- प्रोमिथियम के अलावा सभी तत्व नॉन-रेडियो- एक्टिव होते हैं।
- इनके अधिकांश आयन रंगहीन होते हैं।
- इनकी चुम्बकीय गुणों की व्याख्या सरलता से की
ऐक्टीनाइड
- ऐक्टीनाइड +3 के अलावा = +4, +5, +6, +7 ऑक्सीकरण अवस्थायें भी स प्रदर्शित करते हैं।
- इन तत्वों में संकुल यौगिक बनाने की प्रवृत्ति अधिक पायी जाती है।
- ऐक्टीनाइड यौगिक प्रायः अधिक क्षारीय होते हैं।
- ये तत्व ऑक्सो आयन जैसे- ि (NPO, UO) बनाते हैं।
- सभी ऐक्टीनाइड तत्व रेडियोएक्टिव होते हैं।
- इनके अधिकांश आयन रंगीन ( होते हैं।
- इनकी चुम्बकीय गुणों की व्याख्या जटिल है।
प्रश्न 15. d एवं f-ब्लॉक के तत्वों में 5 प्रमुख अंतर लिखिए ।
उत्तर – दोनों में अन्तर निम्नानुसार है-
d-ब्लॉक के तत्व
- दो कोश n एवं (n-1) अपूर्ण होते हैं।
- इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (n-1)d1-10, ns1 या 2 होता है।
- d-ब्लॉक के तत्व संक्रमण तत्व कहलाते हैं।
- अंतिम इलेक्ट्रॉन उपान्तिम अंतिम कोश के व-कक्षकों में प्रवेश करता है।
- d-ब्लॉक के तत्व प्रकृति में उपलब्ध होते हैं।
- ये तत्व स्थायी हैं।
f-ब्लॉक के तत्व
- तीन कोश n, (n-1) एवं (n-2) अपूर्ण होते हैं।
- इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (n-2)f1-14, (n – 1) s2p6d1-10, ns2 होता है।
- f-ब्लॉक के तत्व अंतर- संक्रमण तत्व कहलाते हैं।
- इलेक्ट्रॉन (n-2) कोश के f-कक्षकों में प्रवेश करता है।
- f-ब्लॉक के तत्व बहुत दुर्लभ हैं।
- ये तत्व कम स्थायी होते हैं।
प्रश्न16. हॉफमैन ब्रोमाइड अभिक्रिया- जब किसी ऐसिड ऐमाइड को ब्रोमीन एवं कॉस्टिक पोटॉश के जलीय या ऐल्कोहॉली को विलयन के साथ गर्म करते हैं तो प्राथमिक ऐमीन बनती है। यह अभिक्रिया हॉफमैन ब्रोमाइड अभिक्रिया कहलाती है।
उदाहरण-जब प्रोपिओन ऐमाइड की अभिक्रिया ब्रोमीन और कॉस्टिक पोटाश से कराते हैं तो एथिल ऐमीन बनती हैं।
C₂H₃CONH2 + Br2 + 4KOH → C2H5NH2 + 2KBr + K2CO3 + 2H20
प्रश्न 17. किसी विद्युत अपघट्य की विद्युत चालकता को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
उत्तर- किसी विलयन की विद्युत चालकता निम्न कारकों पर निर्भर करती है-
- अन्तर-आयनिक आकर्षण- वैद्युत अपघट्य के आयनों के मध्य जितना आकर्षण बल अधिक होगा, विलयन की चालकता उतनी ही कम होगी।
- आयनों का विलायक योजन- आयनों का विलायक योजन अधिक होने पर, आयनों का वैद्युत अभिगमन कम हो जाता है, फलस्वरूप विलयन की चालकता कम हो जाती है। = आयनों का विलायक योजन कम होने पर चालकता का मान अधिक होता है।
- विलायक की श्यानता- उच्च श्यानता वाले विलायक में विलेय पदार्थ की चालकता कम हो जाती है, क्योंकि, विलायक- विलायक अणुओं की अन्योन्य क्रिया उच्च होती है।
- ताप – ताप बढ़ाने से आयनों की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है, प्रतिरोध कम हो जाता है; फलस्वरूप विलयन की चालकता बढ़ जाती है।
- घनत्व – आयन का घनत्व जितना कम होगा, उसका वेग उतना ही अधिक होगा, फलस्वरूप आयन की चालकता उच्च होगी। अधिक घनत्व वाले आयन की चालकता निम्न होती है।
प्रश्न 18. कोलरॉश का नियम क्या है ? इसके दो अनुप्रयोग लिखिए।
उत्तर- कोलरॉश का नियम- “किसी वैद्युत अपघट्य की अनन्त तनुता पर, जब समस्त वैद्युत अपघट्य पूर्णतया आयनित हो जाता है तथा अन्तरा आयनिक आकर्षण नगण्य हो जाता है, तब वैद्युत अपघट्य की आण्विक चालकता का मान उनके धनायनों और ऋणायनों की अनन्त तनुता पर आयन चालकताओं के योग के बराबर होता है।
12th Chemistry Notes Hindi pdf – एल्कोहाॅल, फिनाॅल और ईथर
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