हमारे www.ncertskill.com के इस पोस्ट में आपका स्वागत है, इस पोस्ट में आप कक्षा 12 के राजनीति शास्त्र [ खण्ड ‘अ’ समकालीन विश्व राजनीति ] पाठ्यपुस्तक पहला अध्याय-4 सत्ता के वैकल्पिक केन्द्र [American Hegemony in Contem-porary World] का पूरा समाधान देखेंगे | कक्षा 12 की पाठ्यपुस्तक राजनीति शास्त्र का पूरा समाधान हिंदी में. इस पोस्ट में आप Class 12th Political Science Book Solutions for Mp Board देख सकते है. यह सभी स्टूडेंट्स के लिए फ्री है. आप इस पेज पर 12 political science solutions in Hindi textbook बिलकुल ही फ्री में पढ़ सकते है. यह समाधान कक्षा 12 के राजनीति शास्त्र के नवीनतम पाठ्यक्रम पर आधारित है. इसमें कक्षा 12 के राजनीति शास्त्र के हर चैप्टर के समाधानं नवीनतम पाठ्यक्रम पर आधारित है.
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Ncert Solutions For Class 12th Political Science in Hindi | Chapter – 4 सत्ता के वैकल्पिक केन्द्र
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अध्याय 4
सत्ता के वैकल्पिक केन्द्र [Alternative Centres of Power]
महत्वपूर्ण बिन्दु
- 1945 के पश्चात् शीत युद्ध से यूरोपीय देशों के परस्पर सम्बन्धों में मधुरता आई।
- 1948 में मार्शल योजना के अन्तर्गत यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना हुई जिसके माध्यम से पश्चिमी यूरोप के देशों को आर्थिक सहायता दी गई।
- 1949 में माओ के नेतृत्व में हुई साम्यवादी क्रान्ति के पश्चात् चीन में जनवादी गणराज्य की स्थापना हुई।
- 1962 में भारत-चीन युद्ध के पश्चात् 1976 तक दोनों देशों के बीच कूटनीतिक सम्बन्ध समाप्त रहे।
- इण्डोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर तथा थाइलैण्ड ने 1967 में मिलकर बैंकाक घोषणा-पत्र हस्ताक्षरित करके दक्षिण-पूर्व एशियाई संगठन (आसियान) की स्थापना की थी।
- 1972 में चीन ने अपना राजनीतिक एवं आर्थिक एकान्तवास छोड़कर संयुक्त राज्य अमेरिका से सम्बन्ध स्थापित करना प्रारम्भ कर दिया।
- दिसम्बर 1978 में चीनी नेता देंगे श्याओपेंग ने मुक्त द्वार (ओपन डोर) नीति संचालित की जिसके पश्चात् चीन तेजी से आर्थिक शक्ति के रूप में उभर कर आया। • चीन ने ‘शॉक थेरेपी’ को न अपनाकर अपनी अर्थव्यवस्था का चरणबद्ध विकास किया।
- विश्व राजनीति में द्विध्रुवीय व्यवस्था के अन्त के पश्चात् यूरोप में यूरोपीय संघ तथा एशिया में आसियान का प्रादुर्भाव एक मजबूत शक्ति के रूप में हुआ।
- सैन्य शक्ति के दृष्टिकोण से यूरोपीय संघ के पास विश्व की दूसरी सबसे विशालसेना है।
- दिसम्बर 1988 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमन्त्री राजीव गाँधी की चीन यात्रा से भारत-चीन सम्बन्धों पर जमी बर्फ को पिघलाने में सहायता मिली।
- जापान द्वारा परमाणु बम की विभीषिका का सामना करने के बावजूद भी अपनी अर्थव्यवस्था को विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाया है।
पाठान्त प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. तिथि के हिसाब से इन सबको कम दें–
(क) विश्व व्यापार संगठन में चीन का प्रवेश
(ख) यूरोपीय आर्थिक समुदाय की स्थापना
(ग) यूरोपीय संघ की स्थापना
(घ) आसियान क्षेत्रीय मंच की स्थापना।
उत्तर- (ख) यूरोपीय आर्थिक समुदाय की स्थापना (1957), (घ) असियान क्षेत्रीय पंच की स्थापना (1967), (ग) यूरोपीय संघ की स्थापना (1992) (क) विश्वव्या संगठन में चीन का प्रवेश (2001)।
प्रश्न 2. ‘ASEAN way’ या आसियान शैली क्या है?
(क) आसियान के सदस्य देशों की जीवन शैली है
(ख) आसियान सदस्यों के अनौपचारिक और सहयोगपूर्ण कामकाज की शैली की कहा जाता है
(ग) आसियान सदस्यों की रक्षा नीति है|
(घ) सभी आसियान सदस्य देशों को जोड़ने वाली सड़क है।
उत्तर- (ख) आसियान सदस्यों के अनौपचारिक और सहयोगपूर्ण कामकाज की शैली को कहा जाता है।
प्रश्न 3. इनमें से किसने ‘खुले द्वार’ की नीति अपनाई?
(क) चीन
(ख) दक्षिण कोरिया
(ग) जापान
(घ) अमरीका
उत्तर- (क) चीन।
. खाली स्थान भरिए-
(क) 1962 में भारत और चीन के बीच——— और ————- सीमावर्ती को लेकर लड़ाई हुई थी।
(ख) आसियान क्षेत्रीय मंच के कामों में ——–और ——–‘करना शामिल है।
(ग) चीन ने 1972 मे ———के साथ दोतरफा सम्बन्ध शुरू करके अपनाएकांतवास समाप्त किया।
(घ)————–योजना के प्रभाव से 1948 में यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना हुई।
(ङ)—————आसियान का एक स्तम्भ है जो इसके सदस्य देशों की सुरक्षा के मामले देखता है।
उत्तर- (क) अरुणाचल, लद्दाख, (ख) आसियान के देशों की सुरक्षा, विदेश नीतियों में तालमेल, (ग) अमेरिका, (घ) मार्शल, (ङ) सुरक्षा समुदाय ।
प्रश्न 5. क्षेत्रीय संगठनों को बनाने के उद्देश्य क्या है?
उत्तर- क्षेत्रीय संगठनों को बनाने के प्रमुख उद्देश्यों को संक्षेप में निम्न बिन्दुओं इस स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) अन्तर- क्षेत्रीय समस्याओं का क्षेत्रीय स्तर पर समाधान-क्षेत्रीय संगठन अन्तर क्षेत्रीय समस्याओं का स्थानीय स्तर पर ही समाधान तलाशने में अल्प संगठनों की अपेक्षाकृत अधिक सफल हो सकते हैं। यदि किसी क्षेत्र के किन्हीं दो देशों में किसी विवाद को लेकर विरोधाभाष है तो उसे अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने से दोनों ही राष्ट्रों में कटुता और गहरा जाएगी।
यदि क्षेत्रीय संगठन अपने सदस्य राष्ट्रों के परस्पर विवाद का समाधान करा देते हैं तो आपस में बिना बजह के तनाव, द्वेष अथवा विनाश से बचा जा सकता है।
(2) संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यों को सरल बनाना- अगर छोटी-छोटी क्षेत्रीय समस्याओं का क्षेत्रीय संगठनों द्वारा अपने स्तर से ही समाधान कर दिया जाएगा तो संयुक्त राष्ट्र संघ का कार्य भार कम हो जाएगा जिसके फलस्वरूप वह विशाल अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं को हल करने में और अधिक समय दे पाएगा।
(3) बाह्य हस्तक्षेप का सामना- साधारणतया क्षेत्रीय संगठनों में यह प्रावधान होता है कि क्षेत्र के किसी भी एक देश में बाह्य हस्तक्षेप होने पर संगठन के अन्य सदस्य देश सम्बन्धित देश की भरपूर मदद करते हैं तथा आपात परिस्थितियों के दौरान समस्त क्षेत्रीय राष्ट्र बाह्य हस्तक्षेप का पुरजोर सामना करते हैं।
(4) क्षेत्रीय सहयोग एवं एकता की स्थापना क्षेत्रीय संगठनों में परस्पर सहयोग की – भावना एवं एकता विद्यमान रहती है। क्षेत्र के विभिन्न राष्ट्र क्षेत्रीय संगठन गठित करके परस्पर राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक इत्यादि क्षेत्रों में सहयोग कर अधिकाधिक फायदा उठा सकते हैं। इसी प्रकार वे अपने-अपने क्षेत्रों में अधिक शान्तिपूर्ण एवं सहकारी क्षेत्रीय व्यवस्था विकसित करने का प्रयास भी कर सकते हैं।
प्रश्न 6. भौगोलिक निकटता का क्षेत्रीय संगठनों के गठन पर क्या असर होता है?
उत्तर- भौगोलिक निकटता क्षेत्रीय संगठन को शक्तिशाली बनाने तथा प्रभाव वृद्धि में योगदान देती है। संक्षेप में इसके प्रभाव (असर) को निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) भौगोलिक निकटता की वजह से क्षेत्र विशेष के अन्तर्गत आने वाले देशों में संगठन की भावना का विकास होता है।
(2) पारस्पारिक निकटता से आपसी मेल-जोल तथा आर्थिक सहयोग तथा अन्तर्देशीय व्यापार को प्रोत्साहन मिलता है।
(3) भौगोलिक निकटता की वजह से सामूहिक सुरक्षा पर काफी कम धनराशि व्यय होती है। इस प्रकार शेष बची हुई धनराशि का उपयोग अपने-अपने देशों के विकास में किया जा सकता है।
प्रश्न 7. ‘आसियान विजन 2020′ की मुख्य मुख्य बातें क्या हैं?
उत्तर- ‘आसियान विजन 2020′ की प्रमुख बातों को संक्षेप में अग्र बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-:
(1) आसियान विजन 2020’ के अन्तर्गत अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय में आसियान की एक बहुमुखी भूमिका को प्रधानता दी गई है।
(2) आसियान द्वारा टकराव के स्थान पर परस्पर वार्ताओं द्वारा समस्याओं के समाधान करने को प्रमुखता प्रदान की गई। इस नीति पर चलने के फलस्वरूप ही आसियान ने कम्बोडिया के टकराव एवं पूर्वी तिमोर के संकट को सम्भाला है।
(3) आसियान की वास्तविक शक्ति अपने सदस्य राष्ट्रों, सहगामी सदस्यों तथा शेष गैर क्षेत्रीय संगठनों के मध्य लगातार संवाद एवं परामर्श करने की नीति में है।
(4) आसियान एशियाई देशों तथा विश्व शक्तियों को राजनीतिक एवं सुरक्षा मामलों पर विचार-विमर्श हेतु एक मंच उपलब्ध कराता है।
(5) आसियान जहाँ नियमित रूप से वार्षिक बैठकों का आयोजन कर रहा है वहीं एशियाई राष्ट्रों के साथ व्यापार तथा निवेश मामलों की ओर भी विशेष ध्यान दे रहा है।
प्रश्न 8. आसियान समुदाय के मुख्य स्तम्भों और उनके उद्देश्यों के बारे में बताएँ।
उत्तर – आसियान समुदाय के मुख्य स्तम्भ निम्नांकित हैं-
(1) आसियान सुरक्षा समुदाय – यह समुदाय आसियान देशों के मध्य होने वाले टकरावअथवा विवादों को दूर करता है।
(2) आसियान आर्थिक समुदाय- आसियान आर्थिक समुदाय आसियान देशों के संयुक्त बाजार तथा उत्पादन आधार और क्षेत्र में सामाजिक आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है।
(3) आसियान सामाजिक- सांस्कृतिक समुदाय – यह समुदाय आसियान राष्ट्रों के मध्य सामाजिक एवं सांस्कृतिक सम्बन्धों को बढ़ावा देता है। क्षेत्र की आर्थिक संवृद्धि, सामाजिक प्रगति तथा सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा देना।क्षेत्रीय शान्ति तथा स्थिरता को बढ़ाना। कृषि एवं औद्योगिक क्षेत्र में विकास हेतु अधिक सक्रिय योगदान प्रदान करना तथा विभिन्न सहयोगी क्षेत्रीय संगठनों से परस्पर अच्छे सम्बन्ध विकसित करना।
प्रश्न 9. आज की चीनी अर्थव्यवस्था नियन्त्रित अर्थव्यवस्था से किस तरह अलग है?
उत्तर – वर्तमान चीनी अर्थव्यवस्था पहले की नियन्त्रित अर्थव्यवस्था से किस प्रकार अलग है, इसे निम्न द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) खुले द्वार की नीति- 1949 में माओ के नेतृत्व में हुई साम्यवादी क्रान्ति के पश्चात् चीनी जनवादी गणराज्य की स्थापना के समय वहाँ की आर्थिक रूपरेखा सोवियत मॉडल पर आधारित थी। इसका जो विकास मॉडल अपनाया उसमें खेती से पूँजी निकालकर शासकीय नियन्त्रण में विशाल उद्योग स्थापित करने पर बल दिया गया।
1972 में चीन ने अमेरिका से सम्बन्ध बनाकर अपने राजनीतिक एवं आर्थिक एकान्तवास को समाप्त किया। 1978 में तत्कालीन चीनी नेता देंगे श्याओपेंन ने देश में आर्थिक सुधारों तथा खुले द्वार की नीति की घोषणा की। अब नीति यह हो गई कि विदेशी पूँजी तथा प्रौद्योगिकी के निवेश से उच्चतर उत्पादकता को हासिल किया जाए। बाजार मूलक अर्थव्यवस्था को अपनाने हेतु चीन ने अपना तरीका अपनाया।
(2) कृषि तथा उद्योगों का निजीकरण- चीन ने शॉक थेरेपी न अपनाकर स्वयं की अर्थव्यवस्था को चरणबद्ध तरीके से खोला। चीन ने 1982 में कृषि का निजीकरण किया तथा 1998 में उद्योगों के व्यापार सम्बन्धी अवरोधों को सिर्फ विशेष आर्थिक क्षेत्रों के लिए ही हटाया। उल्लेखनीय है कि वहाँ विदेशी निवेशक अपने उद्यम लगा सकते हैं।
(3) कृषि एवं उद्योगों का विकास-वर्तमान चीनी अर्थव्यवस्था में कृषि के निजीकरण की वजह से कृषि उत्पादों तथा गामीण आय में उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी हुई है। कृषि एवं उद्योग दोनों ही क्षेत्रों में चीनी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर तीव्र है। व्यापार के लिए नवीन कानून तथा विशेष आर्थिक क्षेत्रों के निर्माण से विदेशी व्यापार में काफी बढ़ोत्तरी हुई तथा कृषि एवं उद्योगों के विकास का रास्ता प्रशस्त हुआ है।
(4) विश्व व्यापार संगठन में सम्मिलित-राज्य नियन्त्रित अर्थव्यवस्था वाले चीन वैश्विक स्तर पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हेतु एक उदाहरण के रूप में उभरकर सामने आया है। चीन के पास विदेशी मुद्रा का विशाल भण्डार है जिसके बलबूते वह सम्पूर्ण विश्व में विभिन्न देशों में निवेश कर रहा है। 2001 में वह विश्व व्यापार संगठन में भी सम्मिलित हो गया है। अब उसकी आगामी योजना विश्व आर्थिकी से अपने जुड़ाव को और अधिक सुदृढ़ करके विश्व व्यवस्था को अपनी मर्जी के अनुरूप करना है।
प्रश्न 10. किस तरह यूरोपीय देशों ने युद्ध के बाद की अपनी परेशानियाँ सुलझाईं ?संक्षेप में उन कदमों की चर्चा करें जिनसे होते हुए यूरोपीय संघ की स्थापना हुई।
उत्तर-यूरोपीय देशों ने युद्ध के बाद की अपनी परेशानियों को निम्नलिखित प्रकार से सुलझाया है-
(1) शीत युद्ध से सहायता – 1945 के पश्चात् यूरोपीय देशों के परस्पर मेल-जोल को शीत युद्ध के शुरू होने से सहायता मिली।
(2) मार्शल योजना से अर्थव्यवस्था का पुनर्गठन-अमेरिका ने यूरोपीय अर्थव्यवस्थाके पुनर्गठन हेतु अत्यधिक सहायता प्रदान की थी जिसे मार्शल योजना के नाम से जाना जाता है। (3) सामूहिक सुरक्षा का प्रादुर्भाव – अप्रैल 1949 में अमेरिका ने उत्तर अटलांटिक सन्धि संगठन अर्थात् नाटो के अन्तर्गत एक सामूहिक सुरक्षा व्यवस्था को जन्म दिया।
(4) यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना – 1948 में मार्शल योजना के अन्तर्गत यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना की गई जिसके द्वारा पश्चिमी यूरोपीय देशों की आर्थिक सहायता की गई थी। यह एक ऐसा मंच बन गया जिसके द्वारा पश्चिमी यूरोपीय देशों ने व्यापार एवं आर्थिक मामलों में परस्पर एक-दूसरे की सहायता करना प्रारम्भ किया।
(5) यूरोपीय परिषद् का गठन – 1949 में गठित यूरोपीय परिषद् राजनीतिक सहयोग के मामले में अगला मील का पत्थर सिद्ध हुई।
(6) अर्थव्यवस्था के एकीकरण की प्रक्रिया – यूरोप के पूँजीवादी देशों की अर्थव्यवस्था चरणबद्ध आगे बढ़ती रही। 1957 में यूरोपीय इकोनॉमिक कम्यूनिटी तथा सोवियत संघ के पतनोपरान्त 1992 में यूरोपीय संघ की स्थापना हुई।
यूरोपीय संघ की स्थापना के महत्त्वपूर्ण कदम– यूरोपीय संघ की स्थापना के महत्त्वपूर्ण – कदमों को संक्षेप में निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
(1) आर्थिक विकास को बढ़ावा देने हेतु यूरोपीय देशों ने 1948 में मार्शल योजना के अन्तर्गत यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना की।
(2) 1949 में यूरोपीय देशों में परस्पर राजनीतिक सहयोग बढ़ाने के लिए यूरोपीय परिषद् की स्थापना की गई।
(3) यूरोपीय देशों ने परस्पर मिलकर 1957 में यूरोपीय आर्थिक समुदाय की स्थापना की थी।
(4) यूरोपीय संसद के लिए जून 1979 में पहला प्रत्यक्ष चुनाव सम्पन्न हुआ।
प्रश्न 11. यूरोपीय संघ को क्या चीजें एक प्रभावी क्षेत्रीय संगठन बनाती हैं?
उत्तर- यूरोपीय संघ को निम्नलिखित चीजें अथवा तत्व एक प्रभावी क्षेत्रीय संगठन बनाती हैं-
(1) एक समान राजनीतिक स्वरूप यूरोपीय संघ ने आर्थिक सहयोग वाली व्यवस्था से परिवर्तित होकर अधिकाधिक राजनीतिक स्वरूप ले लिया है। उसका अपना स्वयं का एक झण्डा, गीत, स्थापना दिवस तथा स्वयं की मुद्रा (यूरो) है। ये संयुक्त विदेश नीति तथा सुरक्षा नीति में सहायक हैं।
(2) सहयोग की नीति-यूरोपीय संघ सहयोग की नीति का अनुसरण करता है। इसके माध्यम से पश्चिमी यूरोप के देशों ने परस्पर एक-दूसरे की सहायता की है। इसने समस्त यूरोपीय देशों को शिक्षा दी है कि अन्ततः क्षेत्रीय शान्ति एवं सहयोग ही उन्हें समृद्धि तथा विकास के रास्ते पर ले जा सकता है। संघर्ष एवं युद्ध सदैव विनाश एवं पतन का मूल कारण होते हैं।
(3) आर्थिक प्रभाव अथवा शक्ति यूरोपीय संघ का आर्थिक प्रभाव अथवा शक्ति – भी किसी से छिपी हुई नहीं है। 2005 में वह विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। इसकी मुद्रा यूरो अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व के समक्ष एक चुनौती बन सकती है।
(4) राजनीतिक एवं कूटनीतिक प्रभाव यूरोपीय संघ का राजनीतिक एवं कूटनीतिक – प्रभाव भी विश्व पटल पर अंकित है। इसके दो सदस्य देश ब्रिटेन तथा फ्रांस सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्य हैं। इसी प्रकार इसके कई अन्य सदस्य राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के अस्थायी सदस्यों में सम्मिलित हैं।
प्रश्न 12. चीन और भारत की उभरती अर्थव्यवस्थाओं में मौजूदा एकध्रुवीय विश्व व्यवस्था को चुनौती दे सकने की क्षमता है। क्या आप इस कथन से सहमत हैं? अपने तर्कों से अपने विचारों को पुष्ट करें।
उत्तर- हम उक्त कञ्चन से पूर्णरूपेण सहमत हैं। इस विचार की पुष्टि निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट की जा सकती है—
(1) भारत एवं चीन की अर्थव्यवस्थाएं विकसित होती हुई अर्थव्यवस्थाएँ हैं। दोनों देश की अर्थव्यवस्था उदारीकरण, वैश्वीकरण तथा मुख्य व्यापार नीति का समर्थक हैं।
(2) चीन-भारत की मित्रता एवं सहयोग अमेरिका के माथे पर पसीना ला रहे हैं। ये एक-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था के संचालन करने वाले अमेरिका तथा उसके मित्रों को चुनौती देने में पूर्णरूपेण सक्षम है।
(3) दोनों ही देशों की विशाल जनसंख्या अमेरिका हेतु एक विशाल बाजार प्रदान कर सकती हैं। इसके अतिरिक्त दोनों ही देशों के कुशल कामगार पाश्चात्य देशों एवं अन्य देशों में अपनी दक्षता के बलबूते बाजार को मददगार सिद्ध हो सकते हैं।
(4) चीन तथा भारत अपने वैज्ञानिक अनुसन्धानों तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काफी प्रगति कर चुके हैं। अतः ये दोनों संयुक्त राज्य अमेरिका को अपने शक्ति प्रदर्शन के बलबूते प्रभावित कर सकते हैं।
(5) भारत तथा चीन विश्व बैंक तथा अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से ऋण लेते समय अमेरिका तथा उन बड़ी शक्तियों के एकाधिकार की प्रवृत्ति को नियन्त्रित कर सकते हैं।
प्रश्न 13. मुल्कों की शान्ति और समृद्धि क्षेत्रीय आर्थिक संगठनों को बनाने और मजबूत करने पर टिकी है। इस कथन की पुष्टि कीजिए ।
उत्तर- मुल्कों की शान्ति और समृद्धि क्षेत्रीय आर्थिक संगठनों को बनाने तथा मजबूर करने पर ही टिकी हैं क्योंकि ऐसे संगठन व्यापार, उद्योग-धन्धों तथा कृषि इत्यादि को प्रोत्साहित करते हैं। इन संगठनों के निर्माण की वजह से हो रोजगारों में बढ़ोत्तरी होती है तथा गरीबी पर प्रभावी अंकुश लगाया जा सकता है। किसी भी देश के विकास में क्षेत्रीय आर्थिक संगठन की विशिष्ट उपादेयता है। क्षेत्रीय आर्थिक संगठन बाजार शक्तियों तथा देश की शासकीय नीतियों से विशेष रूप से सम्बद्ध है।
यह तभी हो सकता है जब क्षेत्र में शान्ति का वातावरण रहे। ये संगठन विभिन्न देशों में पूँजी निवेश तथा श्रम-गतिशीलता इत्यादि के विस्तार में मददगार सिद्ध होते हैं तथा अपने-अपने क्षेत्रों में समृद्धि लाते हैं।
प्रश्न 14. भारत और चीन के बीच विवाद के मामलों की पहचान करें और बताएँ कि वृहत्तर सहयोग के लिए इन्हें कैसे निपटाया जा सकता है? अपने सुझाव भी दीजिए ।
उत्तर– भारत-चीन के मध्य विवाद के मामले (मुद्दे) – भारत एवं चीन के मध्य विवादों के मामलों (मुद्दों) को निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) सीमा विवाद- चीन द्वारा कुछ ऐसे मानचित्र प्रकाशित किए गए हैं जिनमें भारतीय भू-भाग पर चीनी दावा प्रस्तुत किया गया था। सीमा विवाद का प्रारम्भ यही से होता है। चीन ने हमारे पड़ोसी पाकिस्तान से समझौता करके कश्मीर का कुछ हिस्सा अपने अधीन कर लिया जिसे पाक द्वारा हथियाए गए कश्मीर का हिस्सा माना जाता है। चीन भारत के एक राज्य अरुणाचल प्रदेश पर भी अपना दावा करता है।
(2) 1962 में सैनिक मुठभेड़ तथा असफलता – 1962 में भारत-चीन में सैनिक मुठभेड़ की चीनी असफलता का परिणाम हमारा उसके साथ सम्बन्धों में कटुता आना रहा है। 1979 में वियतनाम पर हमला करते समय चीन ने घोषणा की थी कि दण्डानुशासन वाली यह कार्यवाही 1962 के नमूने पर ही की गई थी। इस प्रकार के वक्तव्यों की अनदेखी करना भारत के लिए सहन नहीं है।
(3) विश्व व्यापार संगठन में एक जैसी नीतियों का अनुसरण – चीन तथा भारत विकास के लिए विश्व व्यापार संगठन में एक समान नीतियों का अनुसरण करते हैं जिसके फलस्वरूप दोनों ही देशों में प्रतिद्वन्द्विता की भावना उत्पन्न होती है।
(4) सीमा पर चीन द्वारा बस्तियाँ बनाना – चीन ने 1950 में भारत-चीन सीमा पर बस्तियाँ बनाने का निर्णय लिया था जिससे दोनों देशों के सम्बन्धों में काफी कटुता आई।
(5) पाकिस्तान को चीनी हथियारों की आपूर्ति-चीन द्वारा पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति से भारत-चीन के बीच सम्बन्धों को काफी धक्का लगा क्योंकि भारत मानता है कि पाकिस्तान इन शस्त्रों का प्रयोग हमारे देश में की जा रही है आतंकी गतिविधियों में करता है।
भारत-चीन मतभेद दूर करने के उपाय – भारत-चीन के मध्य मतभेदों को निम्न प्रकार सुलझाया जा सकता है-
(1) सांस्कृतिक गतिविधियों का आदान-प्रदान- दोनों देशों के सम्बन्धों को मुद्द करने हेतु सांस्कृतिक गतिविधियों का परस्पर आदान-प्रदान होना चाहिए। इसके लिए एक-दूसरे देश के लोग भाषा एवं साहित्य का अध्ययन करें।
(2) नेतृत्त्वकर्त्ताओं की परस्पर यात्राएँ- दोनों ही देशों के प्रमुख नेतृत्वकर्त्ताओं का एक दूसरे के देशों में आवागमन होते रहना चाहिए जिससे वे अपने विचारों का आदान-प्रदान करके परस्पर सद्भाव एवं सहयोग की भावना विकसित करते रहें।
(3) आतंकवाद पर संयुक्त दबाव-दोनों ही देश आतंकवाद को समाप्त करने के लिए परस्पर सहयोग कर सकते हैं। चीन उन देशों पर दबाव डाल सकता है जो प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से आतंकवादियों को अपने यहाँ शरण देते हैं और उन्हें प्रशिक्षित भी करते हैं।
(4) मैत्रीपूर्ण वातावरण बनाना-चीन तथा भारत तिब्बत शरणार्थियों एवं तिब्बत से जुड़ी समस्याओं, ताइवान समस्या के समाधान, मूल व्यापार नीति, वैश्वीकरण एवं उदारीकरण तथा संचार साधनों में सहयोग करके एक मैत्रीपूर्ण वातावरण बना सकते हैं।
(5) पर्यावरण सुरक्षा- भारत तथा चीन पर्यावरण की सुरक्षा की समस्या का संयुक्त रूप से समाधान कर सकते हैं। दोनों ही देश परस्पर प्रदूषण फैलाने वाली समस्या को दूर करने में अपना सहयोग कर सकते हैं।
परीक्षोपयोगी अन्य प्रश्नोत्तर
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- बहु-विकल्पीय”
- अपनी स्थापना के समय मार्च 1957 में यूरोपीय संघ का नाम था-
(क) यूरोपीय आर्थिक समुदाय
(ख) यूरोपीय संघ
(ग) यूरोपीय इस्पात एवं कोयला समुदाय
(घ) आर्थिक समुदाय।
2 . मास्ट्रिस्ट समझौता’ निम्नांकित में किस संगठन का आधार है?
(क) नाफ्टा
(ख) गैट
(ग) यूरोपीय संघ
(घ) विश्व व्यापार संगठन
3.मास्ट्रिस्ट संधि’ कब हस्ताक्षरित हुई थी ?’
(क) 7 फरवरी, 1992
(ख) 8 जून, 1992
(ग) 7 जुलाई, 1992
(घ) 7 फरवरी, 19931
4. यूरोपीय संसद हेतु प्रथम प्रत्यक्ष चुनाव हुआ था-
(क) जून 1975 में
(ख) जून 1977 में
(ग) जून 1979 में
(घ) जून 1980 में।
5 यूरोपीय संघ के झण्डे में सितारों की संख्या है-
(क) एक
(ख) दो
(ग) बारह
(घ) छब्बीस।
6 दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संगठन कहलाता है-
(क) आसियान
(ख) नाटो
(ग) सेन्टो
(घ) सार्क।
7 आसियान के झण्डे में प्रदर्शित वृत्त प्रतीक है-
(क) मित्रता का
(ख) एकता का
(ग) संघर्ष का
(घ) प्रतियोगिता
8 वर्तमान में आसियान के सदस्य देशों की संख्या है-
(क) पाँच
(ख) छः
(ग) आठ
(घ) दस।
9. निम्नलिखित में आसियान का उद्देश्य है-
(क) दक्षिण एशिया की जनता के कल्याण हेतु प्रयास करना
(ख) दक्षिण एशिया में आर्थिक प्रगति को त्वरित करके उसके आर्थिक स्थायित्व को बनाए रखना
(ग) सदस्य देशों की स्वाधीनता के लिए कार्य करना
(घ) तेल उत्पादक देशों की तेल नीति में एकात्मकता स्थापित करना ।
10. भारत-चीन सम्बन्धों में ‘सद्भावना के वर्ष’ कहा जाता है-
(क) 1965-71
(ग ) 1998-2002
(ख) 1989-97
(घ) 2003-20081
उत्तर- 1. (क) यूरोपीय आर्थिक समुदाय, 2. (ग) यूरोपीय संघ, 3. (क) 7 फरवरी, 1992, 4. (ग) जून 1979 में, 5. (ग) बारह, 6. (क) आसियान, 7. (ख) एकता का, 8. (घ) दस, 9. (ख) दक्षिण एशिया में आर्थिक प्रगति को त्वरित करके उसके आर्थिक स्थायित्व को बनाए रखना, 10. (ख) 1989-97.
- रिक्त स्थानों की पूर्ति
- यूरोपीय संघ की साझा मुद्रा का नाम————– है।
- यूरोपीय देशों ने अपनी अर्थव्यवस्था की बर्बादी ———–तक झेली।
- ———– के झण्डे में सोने के रंग के सितारों का घेरा है।
4.———–दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का संगठन है।
- आसियान का अध्यक्ष ही इसका——— भी होता है।
- आसियान——- का पद प्रति दो वर्ष के लिए प्रत्येक देश को जाता है।
- आसियान एक—————- स्वरूप का संगठन है।
- आगे चलकर भारत-चीन के आपसी सम्बन्ध ———— राजनीति को दिशा देंगे।
- चीन ने भारत पर————- में आक्रमण किया था।
- साम्यवादी चीन का उदय———-में हुआ।
उत्तर- 1. यूरो 2. 1945, 3 यूरोपीय संघ, 4. आसियान, 5. महासचिव, 6. महासचिव, 7. असैनिक 8. विश्व, 9. 1962, 10, 19491
- सत्य/असत्य
- यूरोपीय संघ के दो बड़े राष्ट्र ब्रिटेन तथा फ्रांस के पास परमाणु हथियार हैं।
- यूरोपीय संघ के सदस्य राज्यों के पास अपनी प्रभुसत्ता नहीं है।
- आसियान का प्रथम शिखर सम्मेलन भारत में हुआ था।
- आसियान सचिवालय के विभिन्न पदों की भर्ती प्रत्येक सात वर्ष के बाद की जाती है।
- 2000 तक आसियान के 10 सदस्य राष्ट्र थे ।
- आसियान की शिखर बैठक में क्षेत्रीय सुरक्षा के मसलों पर भी विचार-विमर्श कियाजाता रहा है।
- कोई राज्य अपनी इच्छा से आसियान की सदस्यता नहीं छोड़ सकता है।
- अप्रैल 1954 में भारत-चीन के मध्य पंचशील पर हस्ताक्षर किए गए थे।
- 1965 एवं 1971 के भारत-पाक युद्ध में चीन का दृष्टिकोण पूर्ण तथा भारत विरोधी
- चीनी अर्थव्यवस्था उसकी बढ़ती शक्ति का प्रतीक है। रहा था।
उत्तर- 1. सत्य, 2. असत्य, 3. असत्य, 4. असत्य, 5. सत्य, 6. सत्य, 7. असत्य,8. सत्य, 9. सत्य, 10. सत्य ।
” जोड़ी मिलाइए
‘क’ ‘ख’
- आसियान का मुख्यालय (i) 1999
- आसियान में कम्बोडिया का प्रवेश (ii) 1959
- यूरोपीय यूनियन का मुख्यालय (iii) 21 नवम्बर, 1962
- चीन द्वारा एक पक्षीय युद्ध विराम (iv) जकार्ता (इण्डोनेशिया)
- धार्मिक नेता दलाई लामा द्वारा भारत में शरण (v) ब्रूसेल्स (बेल्जियम)
उत्तर – 1.→ (iv), 2.→ (i), 3.→ (v), 4.→ (iii), 5.→ (ii).
- एक शब्द / वाक्य में उत्तर
- यूरोपीय संघ की स्थापना का मुख्य उद्देश्य क्या था ?
- यूरोप में किस क्षेत्रीय संगठन का उदय एक मजबूत शक्ति के रूप में हुआ ?
- यूरोपीय यूनियन के आयोग के 17 सदस्यों को कितनी समयावधि हेतु चुना जाता है ?
- यूरोपीय यूनियन की संसद में कुल कितने सदस्य होते हैं?
- चीन की नई आर्थिक शक्ति का प्रतीक कौन-सा शहर है?
- भारत-चीन सम्बन्धों में महत्त्वपूर्ण बदलाव कब आया ?
उत्तर- 1. यूरोपीय देशों को आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करना, 2. यूरोपीय संघ, 3. 4 वर्ष, 4.75, 5. संघाई, 6. शीत युद्ध के अन्त के पश्चात् ।
- अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. यूरोपीय यूनियन का 1993 से पहले क्या नाम था ?
उत्तर- यूरोपीय आर्थिक समुदाय अथवा यूरोपीय साझा बाजार।
प्रश्न 2. यूरोपीय संघ (यूनियन) के कोई दो उद्देश्य लिखिए।
उत्तर- (1) एकसमान विदेशी एवं सुरक्षा नीति शुरू करना,
(2) यूनियन की एकसमान नागरिकता की शुरुआत करना।
प्रश्न 3. यूरोपीय यूनियन के मौलिक अथवा संस्थापक राष्ट्रों के नाम लिखिए।
उत्तर- 27 सदस्यीय यूरोपीय यूनियन के 6 संस्थापक अथवा मौलिक सदस्य राष्ट्र फ्रांस, बेल्जियम, लक्जेमबर्ग, नीदरलैण्ड, प. जर्मनी तथा इटली हैं।
प्रश्न 4. आसियान (ASEAN) का पूरा नाम लिखिए एवं इसके सदस्य देशों की संख्या बताइए।
अथवा
आसियान का पूर्ण नाम लिखिए।
उत्तर- आसियान का पूरा नाम ‘एसोसिऐशन ऑफ साउथ-ईस्ट एशियन नेशन्स’ है तथा इसके सदस्य देशों की संख्या दस है।
प्रश्न 5. किस शिखर सम्मेलन में आसियान देशों ने व्यापार को अधिकाधिक क्षेत्रीय बनाने के प्रयास का सुझाव रखा ?
उत्तर- बाली (इण्डोनेशिया) शिखर सम्मेलन, 1976.
प्रश्न 6. आसियान के कोई दो उद्देश्य लिखिए।
उत्तर- (1) क्षेत्रीय शान्ति एवं स्थिरता को बढ़ावा देना,
(2) अन्य क्षेत्रीय सहयोगी संगठनों से निकट सम्बन्ध बनाए रखना।
प्रश्न 7. चीन के वर्तमान राष्ट्रपति एवं प्रधानमन्त्री का नाम लिखो।
उत्तर- वर्तमान (जुलाई 2020) में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग तथा प्रधानमन्त्री ली केकियांग हैं।
प्रश्न 8. भारत एवं चीन के मध्य मैकमोहन सीमा रेखा कब निश्चित की गई ?
उत्तर-1914 में।
प्रश्न 9. 1962 में भारत-चीन युद्ध का क्या कारण था ?
उत्तर – 1962 में भारत-चीन युद्ध का मुख्य कारण तिब्बत समस्या एवं दोनों देशों का सीमा विवाद था।
प्रश्न 10. दलाई लामा कौन हैं ?
उत्तर- दलाई लामा तिब्बत के धार्मिक नेता है।
प्रश्न 11. लगभग 34 वर्षों के लम्बे अन्तराल के बाद किस भारतीय प्रधानमन्त्री ने चीन यात्रा की थी ?
उत्तर- राजीव गाँधी
प्रश्न 12. भारत में दलाई लामा द्वारा शरण कब ली गयी थी ?
उत्तर-1959 में।
प्रश्न 13. भारत में तिब्बती शरणार्थियों की दो बड़ी बस्तियाँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर– दिल्ली तथा धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) ।
प्रश्न 14. भारत-चीन 1962 युद्ध के पश्चात् नेहरू जी के हृदय को भावुक कर देने वाला लता मंगेशकर द्वारा गाया गया गीत का मुखड़ा क्या था ?
उत्तर- 1962 के युद्ध के पश्चात् लता मंगेशकर द्वारा गाए गए गीत का मुखड़ा ए मेरे वतन के लोगो जरा आँख में भर लो पानी था।
प्रश्न 15. ‘ह्वाट ए ग्लोरी’ पुस्तक की रचना किसने की थी ?
उत्तर- डॉ. विवासि ने।
प्रश्न 16. ‘ह्वाट ए ग्लोरी’ पुस्तक में किस बात का उल्लेख किया गया है ?
उत्तर-भारत-चीन सम्बन्धों का।
प्रश्न 17. भारत-चीन के बीच वास्तविक नियन्त्रण रेखा पर शान्ति स्थापित करने हेतु समझौता कब हुआ था?
उत्तर- 7 सितम्बर, 1993 को।
- लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. आसियान संगठन क्या है ?
उत्तर – दक्षिणी-पूर्वी एशियाई राष्ट्र संघ को एसियन अथवा आसियान कहा जाता है। 8 अगस्त, 1967 को दक्षिणी-पूर्वी एशिया के पाँच देशों इण्डोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर तथा थाईलैण्ड ने क्षेत्रीय सहयोग के उद्देश्य से आसियान नामक असैनिक संगठन का निर्माण बैंकाक में एक सन्धि पत्र पर हस्ताक्षरित करके दिया।
इसके बाद ब्रुनेई (1984), वियतनाम (1995), लाओस एवं म्यांमार (1997) तथा कम्बोडिया (1999) को भी इसका सदस्य बनाया गया। आसियान का केन्द्रीय सचिवालय जकार्ता (इण्डोनेशिया) में है तथा उसका अध्यक्ष ही महासचिव होता है।
महासचिव का पद प्रति दो वर्ष के लिए प्रत्येक देश को जाता है तथा देश के चुनाव का आधार अकारादि क्रम है। सचिवालय के ब्यूरो निदेशकों तथा अन्य पदों की भर्ती तीन वर्ष बाद होती है। अभी तक इसके 31 शिखर सम्मेलन हो चुके हैं तथा वर्तमान में एच. ई. दातो लिम जोक होई (ब्रूनेई) आसियान के महासचिव हैं।
प्रश्न 2. आसियान के स्वरूप एवं उद्देश्य को संक्षेप में समझाइए
उत्तर- आसियान के सभी सदस्य दस राष्ट्रों में विभिन्न भाषा, धर्म, जाति, संस्कृति, खान-पान तथा रहन-सहन इत्यादि वाले देश सम्मिलित हैं। हालांकि आसियान के सदस्य देशों की औपनिवेशिक विरासत, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक जीवन मूल्यों में भिन्नता है लेकिन उनमें कतिपय चुनौतियों का सामना करने के बिन्दु पर एकजुटता है। इन देशों के सम्मुख जनसंख्या विस्फोट, निर्धनता, आर्थिक शोषण तथा असुरक्षा इत्यादि भी एक जैसी चुनौतियाँ हैं, जिन्होंने इन्हें क्षेत्रीय सहयोग के मार्ग पर चलने हेतु विवश कर दिया है।
आसियान का उद्देश्य इस क्षेत्र में एक साझा बाजार तैयार करना तथा सदस्य देशों केबीच आर्थिक सहयोग को बढ़ाना है। मुख्य रूप से इसका उद्देश्य सदस्य राष्ट्रों में राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक व्यापारिक,वैज्ञानिक तकनीकी तथा प्रशासनिक इत्यादि क्षेत्रों में परस्पर सहायता करना तथा सामूहिक सहयोग द्वारा विभिन्न सामान्य समस्याओं का समाधान करना है।
प्रश्न 3. भारत-चीन सम्बन्धों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
अथवा
भारत-चीन सम्बन्ध समझाइए ।
भारत-चीन सम्बन्ध समझाइए ।उत्तर- एशिया महाद्वीप की दो बड़ी शक्तियों भारत तथा चीन में शुरुआत में मित्रतापूर्ण सम्बन्ध रहे लेकिन दलाई लामा के भारत में शरण लिए से भारत को अपना समझने लगा। 1962 के चीनी आक्रमण ने इस दुश्मनी को और बढ़ा दिया। 1965 तथा 1971 के भारत-पाक युद्ध में भी चीनी दृष्टिकोण भारत विरोधी ही रहा।
1968 से दोनों देशों के मध्य सम्बन्धों को सुधारने की प्रक्रिया का लम्बा दौर चला जिसके फलस्वरूप दोनों देशों के प्रमुखों की परस्पर एक दूसरे के देशों की यात्रा के दौरान अनेक समझौते किए गए। भारत-चीन के सुधरते रिश्तों का ही प्रतिफल है कि चीन से अनेक वस्तुएँ खुली व्यापार नीति के अन्तर्गत भारत आने लगी हैं। यह दोनों देशों के बीच मधुर होते हुए सम्बन्धों का ही परिचायक है।
प्रश्न 4. भारत-चीन सम्बन्धों में मतभेद के कारण लिखिए।
उत्तर-भारत-चीन में मुख्य रूप से सीमा को लेकर विवाद है। 1914 में भारत की तात्कालिक ब्रिटिश सरकार एवं तिब्बत के बीच एक समझौते के अन्तर्गत मैकमोहन रेखा अस्तित्व में आई जिसे भारत तो स्वीकार करता है लेकिन चीन उसे सीमा रेखा नहीं मानता है। सीमा विवाद के कारण ही 1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण किया था। चीन अरुणाचल प्रदेश की भी अपना हिस्सा मानता है तथा उसे इस बात पर आपत्ति है कि भारत ने उसे एक राज्य का दर्जा दे रखा है। जहाँ पाकिस्तान के नाभिकीय व मिसाइल कार्यक्रम को चीन से भरपूर समर्थन मिला,
वहीं भारत में आतंकवाद के मुद्दे पर भी पाक को चीन का मौन समर्थन प्राप्त है। भारत में दलाई लामा की मौजूदगी एवं उसके कार्यों को भी चीन ने सदैव संदेह की दृष्टि से देखा है। भारत-चीन के बीच ताजा विवाद एशियाई नेतृत्व प्राप्त करने की प्रतिस्पर्द्धा है। चीन के साथ पिछले 20 वर्षों से लम्बित मुद्दों में पाक के ग्वादर बन्दरगाह में चीनी निवेश, ब्रह्मपुत्र नदी पर बाँध का निर्माण तथा पाकिस्तान के चश्मा विद्युत् परियोजना में चीनी परमाणु रिएक्टर का निर्माण सम्मिलित हैं।
प्रश्न 5. चीन-भारत के बीच सन् 2013 में सीमा सुरक्षा सहयोग समझौते की चार शर्तें लिखिए।
उत्तर- 23 अक्टूबर, 2013 को भारत-चीन के बीच हस्ताक्षरित सीमा सुरक्षा सहयोग समझौते की प्रमुख शर्तें निम्न प्रकार हैं-
(1) दोनों देश सीमा क्षेत्र में शान्ति बनाए रखने से सम्बन्धित महत्वपूर्ण सीमा सम्बन्धी मामलों का समाधान करने के लिए चीन-भारत सीमा मामलों पर परामर्श एवं समन्वय हेतु कार्यचालन तन्त्र विकसित करेंगे।
(2) उक्त कार्यचालन तन्त्र सीमावर्ती क्षेत्रों में दोनों देशों के सैन्य बलों के बीच सहयोग एवं सद्भावना विकसित करेगा।
(3) सीमा सुरक्षा सहयोग समझौते में समयानुसार संशोधन किया जा सकता है।
(4) कार्यचालन तन्त्र चीन तथा भारत में बारी-बारी से प्रतिवर्ष एक बार अथवा दो बार परामर्श करेगा। आवश्यकतानुसार परस्पर सहमति से आपातकालीन परामर्श भी किया जा सकता है।
प्रश्न 6. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नए पंचशील सिद्धान्त को संक्षेप में लिखिए। उत्तर- चीन ने भारत के साथ सम्बन्ध सुधारने हेतु अग्र पाँच सूत्रीय फार्मूला घोषित किया है-
(1) भारत-चीन को कूटनीतिक वार्ता जारी रखनी चाहिए। दोनों देशों को द्विपक्षीय सम्बन्धी को सही रास्ते पर रखना चाहिए।
(2) भारत-चीन को परस्पर तुलनात्मक क्षमता का प्रयोग करते हुए आधारभूत संरचना, आपसी निवेश तथा अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना चाहिए।
(3) भारत-चीन को सांस्कृतिक सम्बन्ध मजबूत करने चाहिए तथा दोनों ही देशों को अपनी मित्रता का विस्तार करना चाहिए।
(4) दोनों ही देशों को बहुपक्षीय मंचों पर समन्वय तथा सहयोग बढ़ाना चाहिए तथा विकासशील देशों के हितों की रक्षा करनी चाहिए।
(5) एक-दूसरे की प्रमुख चिन्ताओं पर ध्यान देना चाहिए। भारत-चीन के मध्य मौजूदा समस्याओं तथा मतभेदों को उचित रूप से सुलझाने का प्रयास करना चाहिए।
- दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. आसियान के कार्यों की विवेचना कीजिए।
अथवा
आसियान के कार्य एवं भूमिका पर प्रकाश डालिए।
उत्तर- आसियान के कार्य एवं भूमिका
हालांकि आसियान के कार्यों का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक है लेकिन फिर भी संक्षेप में इसके कार्यों का उल्लेख निम्न प्रकार किया जा सकता है-
(1) सम-सामयिक एवं सांस्कृतिक परियोजनाएं बनाना– आसियान की स्थायी समिति समय-समय पर सामाजिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों से सम्बन्धित परियोजनाएँ बनाती है। इन परियोजनाओं का उद्देश्य जनसंख्या नियन्त्रण एवं परिवार नियोजन कार्यक्रमों को प्रोत्साहन, दवाइयों के निर्माण पर नियन्त्रण, शैक्षणिक, खेल, सामाजिक कल्याण तथा राष्ट्रीय व्यवस्था में संयुक्त कार्य प्रणाली को महत्त्व देना है। 1969 में संचार व्यवस्था एवं सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ाने हेतु एक समझौता किया गया। इस समझौते के प्रावधानों के अनुसार आसियान के सदस्य देश रेडियो एवं दूरदर्शन के माध्यम से परस्पर एक-दूसरे के कार्यक्रमों का आदान-प्रदान करते हैं।
(2) कृषि एवं पशुपालन सम्बन्धी शिक्षा-आसियान ने खाद्य सामग्री के उत्पादन में प्राथमिकता देने के लिए किसानों को अर्वाचीन तकनीकी शिक्षा देने हेतु कुछ कारगर कदम उठाए हैं। यह विशेष रूप से गन्ना, चावल तथा पशुपालन में सहायक सिद्ध होते हैं।
(3) पर्यटन की सुविधा प्रदान करना– आसियान ने पर्यटन के क्षेत्र में अपना एक सामूहिक संगठन आसियम्टा’ स्थापित किया है। यह संगठन बिना ‘वीसा’ के सदस्य देशों में पर्यटन की सुविधा प्रदान करता है। आसियान देशों ने 1971 हवाई सेवाओं के व्यापारिक अधिकारों की रक्षा तथा 1972 में फँसे जहाजों को सहायता पहुँचाने से सम्बन्धित एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
(4) स्वतन्त्र व्यापार क्षेत्र की स्थापना के प्रयास– आसियान के सदस्य देश प्राथमिकता के आधार पर सीमित वस्तुओं के ‘स्वतन्त्रता व्यापार क्षेत्र (साझा बाजार) ‘ स्थापित करने के लिए प्रयासरत हैं। आसियान के सदस्य देशों का आपसी आयात-निर्यात उनके सीमित बाजार का विस्तार तथा विदेशी मुद्रा की बचत करने में सहायक है। 1976 के बाली (इण्डोनेशिया) शिखर सम्मेलन में आसियान सदस्यों ने पारस्परिक सहयोग को बढ़ाने हेतु मुख्यतया निम्नलिखित तीन सुझाव रखे थे-
(i) बाहरी आयात कम करके सदस्य राष्ट्र पारस्परिक व्यापार को महत्त्व देंगे,
(ii) खाद्य एवं ऊर्जा शक्ति वाले इन क्षेत्रों में अभाव से पीड़ित आसियान देशों की सहायता करेंगे, तथा
(iii) आसियान के सदस्य देश व्यापार को अधिकाधिक क्षेत्रीय बनाने का प्रयास करेंगे। जनवरी 1992 में आसियान ने ‘नवीन अन्तर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था’ की माँग करके अपना एक अलग मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने का प्रस्ताव भी रखा।
प्रश्न 2. आसियान की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर-
आसियान की भूमिका का मूल्यांकन
अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के जानकारों का अभिमत है कि साधारणतया आसियान के कार्य एवं भूमिका मन्द तथा निराशाजनक रही है। आसियान की तुलना यूरोपीय साझा बाजार से करते हुए कहा जा सकता है कि यह संगठन सदस्य देशों में आर्थिक एवं अन्य प्रकार का सहयोग तेजी से बढ़ाने में असमर्थ रहा है। आर्थिक सहयोग में आसियान की धीमी प्रगति होने का प्रमुख कारण उसके सदस्य देशों के पास आवश्यक पूँजी तथा क्रय शक्ति का कम होना है।
सदस्य देशों के हितों में परस्पर टकराव की वजह से कई बार उनके बीच अन्तर्राष्ट्रीय विवाद भी पैदा हुए हैं। आसियान देशों का झुकाव पाश्चात्य देशों की ओर अधिक रहा है। यह सत्य है कि इण्डोनेशिया के अलावा आसियान के अन्य सदस्य देश मलेशिया, सिंगापुर, फिलीपीन्स तथा थाईलैण्ड पश्चिमी देशों के साथ सुरक्षात्मक समझौते की वजह से जुड़े हैं।
उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के अनेक मुद्दों पर ही नहीं अपितु हिन्द-चीन पर भी पाश्चात्य शक्तियों का ही साथ दिया है। इस संगठन के सदस्य देशों में विदेशी सैनिक अड्डे भी विद्यमान हैं। मुक्त त्रुटियों के बावजूद आसियान एक असैनिक स्वरूप का संगठन है।
जो देश आसियान के उद्देश्य, सिद्धान्त तथा प्रयोजनों में आस्था रखते हैं, उनके लिए इस संगठन के प्रवेश द्वार खुले हुए हैं। आसियान के सदस्य देशों में विदेशी सैनिक अड्डे अस्थायी हैं। चीन से आसियान का व्यापार लगातार बढ़ता जा रहा है। वर्तमान में आसियान के सदस्य देशों की जनता उसे एक ऐसी मशीनरी के रूप में देखती है, जो एक देश के जनसाधारण को दूसरे देश के लोगों से जोड़ती है।
आसियान क्षेत्र को मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने के प्रयास क्षेत्रीय सहयोग की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण चरण है। 27वें आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान ‘आसियान इकोनामी कम्युनिटी’ (एईसी) के गठन की घोषणा की गई जो एक नए क्षेत्रीय आर्थिक मंच के रूप में कार्य करेगा।
प्रश्न 3. कोलम्बो प्रस्ताव पर एक लेख लिखो।
उत्तर- कोलम्बो प्रस्ताव
भारत तथा चीन के बीच सीमा विवाद का समाधान करने हेतु दिसम्बर 1962 में श्रीमती भण्डार नायके की अध्यक्षता में श्रीलंका, म्यांमार ( पूर्व बर्मा), इण्डोनेशिया, कम्बोडिया, मिस्र तथा घाना देशों के प्रतिनिधियों का कोलम्बो में सम्मेलन हुआ, जिसके फलस्वरूप ‘कोलम्बो प्रस्ताव’ निर्मित किया गया। 19 जनवरी, 1963 को कोलम्बो प्रस्ताव प्रकाशित किया गया। इसकी प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित थीं-
(1) युद्ध विराम के समय भारत-चीन विवाद का शान्तिपूर्ण प्रकार से समाधान करने का उपयुक्त समय।
(2) चीन पश्चिमी क्षेत्र में अपनी चौकियाँ बीस किमी पीछे हटा ले।
(3) भारत अपनी वर्तमान सैनिक स्थिति बनाए रखे।
(4) सीमा विवाद में अन्तिम समाधान होने तक चीन द्वारा खाली किया गया क्षेत्र, असैनिक क्षेत्र हो, जिसको निगरानी दोनों पक्षों द्वारा नियुक्त गैर-सरकारी सैनिक चौकियाँ करें। लेकिन इस क्षेत्र में भारत एवं चीन दोनों पक्षों का पहले की उपस्थिति का दावा समाप्त नहीं होगा। युद्ध विराम का
(5) पूर्वी नेका क्षेत्र में भारत-चीन सरकारों द्वारा मान्य नियन्त्रण रेखा कार्य करे।
(6) मध्यवर्ती क्षेत्र का समाधान शान्तिपूर्ण ढंग से किया जाए। भारत ने कुछ स्पष्टीकरण के पश्चात् कोलम्बो प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। 21 जनवरी, 1963 को चीनी विदेश मन्त्री ने कोलम्बो प्रस्ताव का सिद्धान्त स्वीकार कर लिया।
प्रश्न 4. भारत-चीन के वर्तमान सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
उत्तर– भारत-चीन सम्बन्ध
भारत एवं चीन एशिया महाद्वीप की दो बड़ी शक्तियाँ हैं। चीन के प्रति भारतीय दृष्टिकोण शुरू से मित्रतापूर्ण रहा। जब 1948 में चीन में साम्यवादी शासन का प्रादुर्भाव हुआ, तो भारत ने उसे राजनीतिक मान्यता प्रदान की थी। 29 जून, 1952 को भारत-चीन के मध्य हुए व्यापारिक समझौते के आधार पर भारत ने तिब्बत से अपने अतिरिक्त देशीय अधिकारों को चीन को सौंप दिया।
1956-59 तक तिब्बत में दलाई लामा के समर्थन से चीनी सरकार के प्रति विद्रोह चलाया, जिसे चीनी सरकार ने कुचल दिया। 31 मार्च, 1959 को दलाई लामा ने भारत में शरण ली, जिसे चीन ने शत्रुतापूर्ण कार्य की उपमा दी। 1959 में चीन ने भारतीय सीमा का स्पष्ट उल्लंघन किया तथा 8 सितम्बर, 1962 को भारत पर सैनिक आक्रमण कर दिया।
21 नवम्बर, 1962 को चीन ने एक पक्षीय युद्ध विराम घोषित कर दिया। 1965 तथा 1971 के भारत-पाक युद्ध में चीन का दृष्टिकोण भारत विरोधी ही रहा। हालांकि 1968 से ही दोनों देशों के सम्बन्धों को सुधारने का प्रयास किया जा रहा था।
लेकिन 1976 में भारत-चीन के बीच कूटनीतिक सम्बन्ध स्थापित होने के उपरान्त ही दोनों देशों के सम्बन्ध सुधार में सफलता मिल सकी। दिसम्बर 1988 में भारतीय प्रधानमन्त्री की चीनी यात्रा के दौरान सद्भावना का वातावरण निर्मित हुआ ।
दिसम्बर 1993 में भारत में तत्कालीन प्रधानमन्त्री पी. वी. न दोनों देशों के बीच सीमा पर शान्ति बनाए रखने हेतु एक समझौता किया। कारगिल संकट के समय चीन ने पाकिस्तान का साथ नहीं दिया।
अप्रैल 2000 की भारत-चीन सम्बन्धों की 25वीं वर्षगाँठ मनाई गयी तथा दोनों देशों के कूटनीतिक सम्बो मजबूती प्रदान करने हेतु जून 2000 में तत्कालीन भारतीय राष्ट्रपति के. आर. नारायणन ने चीन की यात्रा की थी। इसी क्रम में जनवरी 2002 में चीनी प्रधानमन्त्री झू रोंगजी की भारत यात्रा ने दोनों देशों के सम्बन्धों को मजबूत डोर में बाँधने का काम किया। जून 2003 में तत्कालीन प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी की चीन यात्रा से दोनों देशों के सम्बन्धों में व्यापक स्तर पर सुधार हुआ। 24 जून, 2003 को भारत-चीन के बीच ऐतिहासिक घोषणा-पत्र तथा नौ समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
अप्रैल 2005 में चीनी प्रधानमन्त्री जियाबाओं की भारत यात्रा के दौरान सीमा विवाद पर विस्तृत वार्ता हुई तथा चीन ने सिक्किम को भारत का अभिन्न हिस्सा स्वीकारा, जो कि सदैव विवादित था। नवम्बर 2006 में चीनी राष्ट्रपति हू जिन्ताओ ने भारत यात्रा के दौरान द्विपक्षीय व्यापार 2010 तक दो गुना करके 40 अरब डॉलर तक पहुँचाने की प्रतिबद्धता जतायी।
इस दौरान दोनों देशों के बीच 13 समझौते हस्ताक्षरित किए गए। 13 अक्टूबर, 2009 को पाकिस्तान के साथ पाक अधिकृत कश्मीर में चीन द्वारा एक बाँध के निर्माण में सहयोग का समझौता करके भारत-चीन सम्बन्धों में कटुता आई लेकिन दिसम्बर 2010 में चीनी प्रधानमन्त्री वेन जियाबाओ की भारत यात्रा से दोनों देशों के सम्बन्धों में मधुरता की मिठास पैदा हुई। उनकी इस यात्रा के दौरान छः सहमति पत्र हस्ताक्षरित हुए।
अक्टूबर 2013 में भारतीय प्रधानमन्त्री को चीन यात्रा के दौरान सीमा रक्षा सहयोग समझौते सहित 9 समझौते हुए। भारत-चीन राजनीतिक स्तर पर राजनीतिक वार्ता का छठा दौर 14 अप्रैल, 2014 को हुआ।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 17-19 सितम्बर, 2014 को दोनों देशों के ऐतिहासिक सम्बन्धों को नई दिशा देने हेतु भारत यात्रा की इस दौरान बारह महत्त्वपूर्ण समझौते भी हस्ताक्षरित किए गए। 14-16 मई, 2015 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की चीन यात्रा के दौरान 24 समझौते हस्ताक्षरित होना भारत-चीन सम्बन्धों में मधुरता होने का संकेत देता है। भारत-चीन प्रथम उच्चतर राजनीतिक वार्ता 22 फरवरी, 2017 को बीजिंग में हुई जिसमें दोनों देशों के बीच उत्पन्न मतभेदों पर चर्चा हुई।
28 अप्रैल, 2018 को भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की चीन यात्रा से सीमा विवाद पर भरोसे के सम्बन्ध विकसित हुए। अक्टूबर 2019 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भारत यात्रा से दोनों देशों के सम्बन्ध और मजबूत हुए।
Conclusion :-
इस पोस्ट में हमने MP Board, cg board…etx. के कक्षा 12 राजनीति शास्त्र पाठ्यपुस्तक के पहले अध्याय 4 समकालीन विश्व में अमेरिकी वर्चस्व का समाधान को देखा, हमारे इसी वेबसाइट पे आपको कक्षा 12 के जीवविज्ञान के सलूशन, भौतिकी के सलूशन, गणित के सलूशन, रसायन विज्ञान के सलूशन, अंग्रेजी के सलूशन भी मिलेंगे. आप उन्हें भी ज़रूर देखे.
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